देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान वकीलों के चिल्लाने पर अपना आपा खो बैठे और उन्होंने वकीलों बिना चिल्लाएं शांति के साथ अपनी अदालत में अपनी दलील रखने को कहा।
दरअसल, कल सुप्रीम कोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील श्याम दीवान और रंजित कुमार तेज आवाज में अपनी दलील रख रहे थे, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कृपया मत चिल्लाएं और शांति के साथ अपनी दलील रखें। इस पर जबाब देते हुए दीवान ने कहा “हम चिल्ला नहीं रहे हैं। बस अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं।
इसके बाद एक अन्य मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश परेशान हो गए क्योंकि एक वकील उन्हें पहले से मिली राहत से अधिक राहत के लिए जोर दे रहा था। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि “यह ठीक नहीं हो रहा है। क्या हो गया है इन वकीलों को?”
एक युवा वकील ने पीठ से कहा कि जब वह कोर्ट में पहली बार सुनवाई के लिए अपनी दलील रखने आया था तो उसे अहसास ही नहीं हुआ कि उसने कोई आवाज उठाई है। इस मुख्य न्यायाधीश ने युवा वकील को कहा, “आपका कोर्ट में स्वागत है लेकिन चिल्लना मत सीखो” इसके बाद एक अन्य मामले की सुनवाई के लिए जब वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी, सीएस वैद्यनाथन, दुष्यंत देव कोर्ट में पेश हुए तब सीजेआई ने कहा, “ मैं यहां मौजूद सभी वरिष्ठ वकीलों से अनुरोध करता हूं, कृपया मत चिल्लाएं। जब युवा वकील समझ सकते हैं तो आप लोग क्यों नहीं। मुझे यह कहते हुए बहुत खेद हो रहा है।”
कुछ दिनों पहले दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अदालत के फैसलों पर सरकार द्वारा वर्षों तक अमल नहीं किया जाता है। न्यायिक घोषणाओं के बावजूद जानबूझकर निष्क्रियता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, “हालांकि, नीति निर्धारण हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन अगर कोई नागरिक अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आता है तो अदालत मना नहीं कर सकती है।” सीजेआई ने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब यह ‘निजी हित याचिका’ बन गई है और निजी मामलों को निपटाने के लिये इसका इस्तेमाल किया जाता है।