सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अपने तल्ख तेवरों के लिए माने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में एक धारणा है कि सीजेआई फैसला लेने के बाद कभी भी अपने कदम वापस नहीं खींचते हैं। लेकिन एक वाकया ऐसा भी है जिसमें महज 12 दिनों के भीतर डीवाई चंद्रचूड़ ने अपना फैसला वापस ले लिया। 1 मई को सीजेआई ने आदेश दिया था कि अदालतें डिफाल्ट बेल की एप्लीकेशंस पर विचार न करें। आज कहा कि कोर्ट स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकती हैं।

दरअसल विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने ऋतु छाबड़िया बनाम केंद्र के मसले पर फैसला दिया कि अगर जांच एजेंसी आधी अधूरी चार्जशीट दाखिल करती है तो आरोपी डिफाल्ट बेल का हकदार बन जाएगा। यानि उसे जमानत मिलने में कोई परेशानी नहीं आएगी।

एक ही मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले, CJI को पता चला तो रोक दिया था एक आदेश

विवाद तब शुरू हुआ जब सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई से कहा कि ऋतु छाबड़िया मामले में डबल बेंच के फैसले को वो स्थगित करें। मेहता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की ही एक डबल बेंच ने डालमिया केस में तकरीबन 16 साल पहले जो आदेश दिया था वो ऋतु छाबड़िया मामले में दिए फैसले से बिलकुल उलट है। सीजेआई भी मेहता की बात को सुनकर सकते में थे।

सुप्रीम कोर्ट के कानून के मुताबिक डबल बेंच का फैसला उस स्थिति में ही खारिज हो सकता है जब उससे बड़ी बेंच उस मामले में फैसला दे। लेकिन जमानत को लेकर दिए गए दोनों ही फैसले डबल बेंचों के थे। सीजेआई ने तत्काल प्रभाव से 1 मई को आदेश दिया कि अदालतें ऋतु छाबड़िया केस के फैसले को आधार बनाकर डिफाल्ट बेल के लिए लगाई गई एप्लीकेशंस पर विचार न करें। जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच के फैसले को पहले 4 मई तक रोका गया। फिर मियाद बढ़ाकर 12 मई कर दी गई।

एडवोकेट की दलील पर सीजेआई ने कहा- 1 मई का आदेश अदालतों को नहीं रोकेगा

लेकिन 12 दिनों बाद ही सीजेआई को अपना फैसला वापस लेना पड़ा, क्योंकि एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने उनसे दरखास्त की कि उनके 1 मई के आदेश की वजह से उनके क्लाइंट के अधिकारों का हनन हो रहा है। अदालत डिफाल्ट बेल की उसकी एप्लीकेशन पर विचार नहीं कर रही है। सीजेआई ने नए आदेश में कहा कि अदालतें डिफाल्ट बेल पर स्वतंत्रता पूर्वक विचार कर सकती हैं। सीजेआई ने कहा कि उनका 1 मई का आदेश किसी भी लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट को डिफाल्ट बेल पर विचार करने से नहीं रोकेगा। अदालतें अपने हिसाब से डिफाल्ट बेल पर विचार कर सकती हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अदालतें ऋतु छाबड़िया मामले में दिए फैसले को आधार न बनाएं। वो अपने हिसाब से डिफाल्ट बेल पर विचार करें।

ऋतु छाबड़िया मामले में दिए फैसले को खारिज करने की मांग कर रहे तुषार मेहता

ध्यान रहे कि ऋथु छाबड़िया मामले में डबल बेंच के फैसले को केंद्र सीजेआई की बेंच के सामने चुनौती देने जा रहा है। तुषार मेहता ने सीजेआई से कहा था कि वो इस फैसले को चुनौती देने जा रहे हैं। सीजेआई की अगुवाई वाली ट्रिपल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट एक मामले में दो अलग अलग फैसलों के मामले में सुनवाई करने की हामी भर चुका है। जुलाई में सीजेआई खुद देखेंगे कि ये गलती कैसे हुई।