आज डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि है। पूरा देश 6 दिसंबर को उनकी याद में महापरिनिर्वाण दिवस मनाता है। दरअसल बौद्ध अनुयायियों के अनुसार डॉ अंबेडकर भी अपने कार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं, इसलिए इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट परिसर में बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद रहे।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने डॉ. बीआर अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने डॉ. बीआर अंबेडकर को उनकी 67वीं पुण्यतिथि पर सुप्रीम कोर्ट में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा, “यह सुप्रीम कोर्ट के लिए ऐतिहासिक अवसर है। 6 दिसंबर देश के लिए ऐतिहासिक है। अब हम यहां सुप्रीम कोर्ट में डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करके इतिहास के इस हिस्से का हिस्सा हैं।”
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमें डॉ. बीआर अंबेडकर के मूल्यों के साथ खड़ा रहना होगा। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन के सिद्धांतों का युवाओं सहित सभी को पालन करना चाहिए। हम इन सिद्धांतों का कई तरीकों से पालन और कार्यान्वयन कर सकते हैं। इस साल हमें एक मौका मिला है। सुप्रीम कोर्ट परिसर में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा देखकर ऐसा लगता है कि वह हमारे बीच हैं।”
डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया
सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पहल पर डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह प्रतिमा तीन फुट ऊंचे आधार पर लगाया गया है। साथ ही डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा सात फुट ऊंची वकील की वेशभूषा में है। उन्होंने वकील की तरह गाउन और बैंड पहना हुआ है और एक हाथ में संविधान की प्रति है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में अब तक दो प्रतिमाएं लगी हैं। एक प्रतिमा मदर इंडिया के म्यूरल की है, जो भारतीय मूल के ब्रिटिश शिल्पी चिंतामणि कर ने बनाई है। वहीं दूसरी प्रतिमा महात्मा गांधी की है, जिसे ब्रिटिश मूर्तिकार ने ही बनाई है।