चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने अदालत में इस्तेमाल होने वाली कानूनी शब्दावली को लेकर बड़ा बयान दिया है। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि हाल ही में उन्होंने LGBTQ हैंडबुक (LGBTQ Handbook) लांच की। साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट उस योजना पर काम कर रहा है ताकि कोर्ट के अंदर ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल हो, जिससे किसी को किसी शब्द को लेकर बुरा ना लगे। किसी को यह न लगे कि उसका उपहास उड़ाया गया है।

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “हमने हाल ही में LGBTQ हैंडबुक लॉन्च की है। हम लिंग-अनुचित शर्तों पर कानूनी शब्दावली शुरू करने के करीब हैं। यदि आप 376 पर एक निर्णय पढ़ते हैं, तो मुझे यकीन है कि आप सभी ने कुछ वाक्यांशों को पढ़ा होगा कि ‘victim was ravished by the appellant’ या “she was a concubine” या एनडीपीएस में एक जमानत आदेश में ‘the negro was arrested with cocaine’ ये शब्दावली हमारी न्यायपालिका को नीचा नहीं दिखाती, लेकिन आज के दौर में हम भाषा पर उतना ही ध्यान दे रहे हैं, जितना पदार्थ पर।”

इसके साथ ही डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत में वीडियो रिकॉर्डिंग को लेकर भी बड़ा बयान दिया है। दरअसल कोर्ट की कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग चलती है। कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं जिसमें जज वकील को डांट रहे होते हैं या फिर वकील जज को समझाते हैं। इसको लेकर उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जरूरत भी बताई।

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप ऐसे कैसे उम्मीद करते हैं कि एक जज 15000 पन्नों वाले पूरे सबूत को कैसे पढ़ या समझ सकता है। इस मामले में जज की मदद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर सकता है और एक रिकॉर्ड भी तैयार कर सकता है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कोर्ट के वायरल वीडियोस को लेकर कहा, “आजकल हाईकोर्ट सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं। इसमें कुछ समस्याएं हैं। आपने देखा होगा कि पटना हाई कोर्ट में एक जज आईएएस अधिकारी को लताड़ लगा रहे हैं कि उन्होंने शर्ट और पैंट ही पहनी है, सूट क्यों नहीं? या फिर आपने गुजरात हाई कोर्ट का वीडियो देखा होगा जिसमें पूछा जाता है कि वकील अपने केस को लेकर तैयार क्यों नहीं रहते हैं? एक जज के रूप में हमें खुद को ट्रेनिंग देने की जरूरत है। हम सोशल मीडिया के दौर में काम कर रहे हैं और हम जो एक-एक शब्द कहते हैं, वह सबकुछ जनता के सामने सार्वजनिक तौर पर पहुंचता है।”