CJI DY Chandrachud: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अक्सर अपने भाषणों में जेंडर समानता की बात पर जोर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को भी एक कार्यक्रम के दौरान जेंडर समानता और समावेशी कानूनी पेशे को लेकर अपनी बात रखी। जिसमें महिलाओं को ‘पारिवारिक’ जिम्मेदारियों के कारण अपनी प्रैक्टिस छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाता।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने बताया कि कैसे एक बार उन्होंने गलती से महिला वकील को फोन कर दिया था, क्योंकि उसका नाम उनके सहकर्मी की बेटी के नाम से मिलता-जुलता था। उन्होंने कहा कि उन्होंने उसे यह सोचकर फोन किया कि वह उनके सहकर्मी की बेटी है। इसलिए वह उसे डिनर पर आमंत्रित करना चाहते थे। कॉल पर मौजूद महिला ने बताया कि सीजेआई ने गलत व्यक्ति को फोन किया और जब उन्होंने उसके काम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने बच्चे को जन्म दिया, इसलिए उसकी प्रैक्टिस बंद है। वह चाहती थी कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग थोड़ी और मजबूत होती। अगर ऐसा होता तो कॉल पर मौजूद महिला ने सीजेआई से कहा कि तब उसे अपनी प्रैक्टिस बंद नहीं करनी पड़ती।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उस महिला वकील के ये शब्द पूरे दिन मेरे दिमाग में रहे। मैंने कहा कि जाहिर है हमें कुछ करने की जरूरत है, क्योंकि अगर हमें अपने पेशे को और अधिक जेंडर समानता वाला और समावेशी बनाना है तो हमें ऐसी स्थिति में क्यों रहना चाहिए, जिसमें युवा महिलाएं, जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण घर पर कई तरह के काम कर रही हैं। हम जानते हैं कि हमारे समाज में महिलाएं पेशेवर, मां, सास आदि हैं। ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए कि हम समान परिस्थितियां बनाएं, जहां हम अपनी अदालतों को उन जगहों के रूप में योग्य बना सकें, जहां महिलाएं बार में सफल हो सकें। इसलिए जज ने यह सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि महिला वकील अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी प्रैक्टिस जारी रख सकीं।

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि महिला को बार में सफल होने के लिए पुरुषों की तरह व्यवहार क्यों करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, पारिवारिक जिम्मेदारियों को त्यागना पड़ता है। मुझे लगता है कि इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि भारत भर की अदालतें नागरिकों, पेशेवरों तक सही मायने में पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं। पिछले 5 वर्षों में टेक्नोलॉजी में मेरा उद्देश्य इसे एक नए विचार के रूप में बनाना नहीं रहा है, जिसे हम लागू करते हैं। बेशक, हमारे पास सुप्रीम कोर्ट में एक वॉर रूम है। लेकिन इन सभी पहलों के साथ विचार आम नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाना है। यह वास्तव में मेरा मिशन है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह बातें बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में आयोजित समारोह के दौरान कहीं। जहां सीजेआई को रिटायरमेंट से पहले सम्मानित किया गया था। अपने भाषण में चीफ जस्टिस ने युवा वकीलों से नैतिकता का पालन करने और कोर्ट को गुमराह न करने की अपील भी की।