जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को देश के 46वें CJI (Chief Justice of India) के रुप में पदभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। जस्टिस गोगोई ने 28 फरवरी, साल 2001 में बतौर जज गुवाहटी हाईकोर्ट से अपने करियर की शुरुआत की। 23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस गोगोई की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई थी। जस्टिस गोगोई का हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबा करियर रहा है। लेकिन लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि जस्टिस गोगोई की संपत्ति बेहद मामूली है और आज भी उनके पास अपना घर नहीं है। वरिष्ठ और नामी वकीलों की संपत्ति देखें तो जस्टिस गोगोई संपत्ति के मामले में उनके सामने कहीं नहीं ठहरते। जस्टिस गोगोई की अब तक की कुल बचत और अन्य संपत्तियों को मिलाकर भी देखें तो शायद यह वरिष्ठ और मशहूर वकीलों की प्रतिदिन की आय से भी कम साबित होगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, जस्टिस रंजन गोगोई के पास गोल्ड की एक ज्वैलरी भी नहीं है, वहीं उनकी पत्नी के पास भी सिर्फ वहीं ज्वैलरी है, जो उनकी शादी के समय पर उनके परिजनों ने दी थी। जस्टिस रंजन गोगोई के पास अपना खुद का कोई वाहन भी नहीं है। हालांकि इसका कारण ये भी हो सकता है कि उन्हें पिछले 2 दशकों से सरकारी वाहन उपलब्ध कराया जा रहा है। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की तरह जस्टिस गोगोई को स्टॉक मार्केट में भी कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके साथ ही जस्टिस गोगोई का कोई लोन, कर्ज या कोई बिल भी बकाया नहीं है, यानि कि उन पर किसी भी तरह की कोई देनदारी नहीं है।
नए सीजेआई जस्टिस गोगोई और उनकी पत्नी के पास कुल 30 लाख रुपए की संपत्ति हैं। साल 1999 में जस्टिस गोगोई ने गुवाहटी के बेलटोला इलाके में एक प्लॉट खरीदा था, जिसे उन्होंने बहुत समय पहले ही 65 लाख रुपए में बेच दिया था। अपनी संपत्ति के हलफनामे में जस्टिस गोगोई ने उस प्लॉट के खरीददार के नाम का जिक्र भी किया है। इस तरह यदि सीजेआई जस्टिस गोगोई की इस संपत्ति को देश के वरिष्ठ वकीलों से तुलना की जाए तो यह उनके आस-पास भी नहीं ठहरती। सुप्रीम कोर्ट के कुछ मशहूर वकील एक दिन में 50 लाख रुपए तक कमा लेते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के एक जज की तन्खवाह कुछ समय पहले तक 1 लाख रुपए महीना होती थी, जिसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट जज को कई अन्य भत्ते और आवास आदि की सुविधा मिलती है, लेकिन यदि इस कमाई की तुलना मशहूर वकीलों की कमाई से की जाए तो यह तुलना ही बेमानी कही जाएगी।
