भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई मामले में खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा है कि वो इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। चीफ जस्टिस का कहना है कि वो भी उस समिति का हिस्सा थे जिसने जस्टिस वर्मा को नकदी पैसा मामले में दोषी पाया गया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो मामले की सुनवाई के लिए तैयार है।
जस्टिस वर्मा मामले में बात रखते हुए मुख्य न्यायाधीश गवई ने सीनियर वकील कपिल सिब्बल से कहा, ‘मेरे लिए इस मामले को उठाना संभव नहीं होगा, क्योंकि मैं भी समिति का हिस्सा था। हम इसे सूचीबद्ध करेंगे। मुझे एक पीठ का गठन करना होगा।’ वहीं उस समिति की बात करें तो उसमें जस्टिस गवई के अलावा न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची शामिल थे।
जस्टिस वर्मा पाए गए थे दोषी
वहीं सिब्बल ने इस मामले को लेकर कहा कि यथाशीघ्र सूचीबद्ध करते हुए इसपर सुनवाई की जानी चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच सुनवाई करेगी। जस्टिस वर्मा के खिलाफ बनाई गई जांच कमेटी ने पाया कि वो दोषी हैं और उनके घर कैश मिला था।
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इस मामले में जस्टिस वर्मा की मानें तो उनका कहना है कि मेरे घर नोट मिलने से ये साबित नहीं कि वो दोषी हैं। 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके आवास के बाहरी हिस्से से नगदी बरामद हुआ था। जिससे ये सिद्ध नहीं जाता है कि वो इससे शामिल थे। क्योंकि आंतरिक जांच कमेटी ने ये नहीं तय किया है कि नगदी किसकी है या परिसर में कैसे मिली।