Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एनडीए के कुनबे में चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस दोनों शामिल हैं। हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग के बाद भी दोनों खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। दोनों चाचा-भतीजे हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर एक-दूसरे से भिड़ने के मूड में नजर आ रहे हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसी क्या वजह है, जिस वजह से दोनों चाचा-भतीजों ने हाजीपुर लोकसभा सीट पर दावा ठोक रहे हैं।

चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस दोनों ही रामविलास पासवान को अपनी प्रेरणा बताते हैं। हाजीपुर लोकसभा सीट रामविलास पासवान का गढ़ मानी जाती थी। इसी वजह से दोनों नेता इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं क्योंकि जो भी यहां से चुनाव लड़ता और जीतता है, उसे ही रामविलास पासवान का असली सियासी वारिस समझा जाएगा। वैशाली, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिलों को मिलाकर हाजीपुर बिहार की छह आरक्षित लोकसभा सीटों में से एक है। इसके अलावा गया, गोपालगंज, समस्तीपुर, सासाराम और जमुई भी बिहार की आरक्षित लोकसभा सीटें हैं।

हाजीपुर की तरह प्रभाव रखने वाली बिहार की एकमात्र अन्य आरक्षित सीट सासाराम है। सासाराम लोकसभा सीट (Sasaram Lok Sabha Seat) पर 1952 से 1989 तक पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित नेता जगजीवन राम का कब्जा था। उनके बाद इस सीट पर उनकी बेटी मीरा कुमार 2 बार सांसद चुनी गईं। मीरा कुमार 2004 से 2014 से सासाराम से सांसद रहीं। वह लोकसभा की स्पीकर भी चुनी गईं।

रामविलास पासवान अक्सर कहते थे कि साल 1977 में जेपी ने हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुना था। रामविलास इस सीट से रिकॉर्ड मार्जिन से जीते थे। इसके बाद वह 1980 में भी जीते और फिर यह सिलसिला लगातार जारी रहा। कहा जाता है कि लंबे समय तक हाजीपुर को लोग सिर्फ दो वजहों से पहचानते थे- एक वहां के केले और दूसरे रामविलास पासवान।

हाजीपुर से सिर्फ 1 बार चुनाव हारे रामविलास

रामविलास पासवान ने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी बनाई। वह हाजीपुर लोकसभा सीट से सिर्फ 2009 का चुनाव हारे। इस चुनाव में नीतीश बीजेपी के साथ थे। एनडीए ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। बिहार की 40 में से 32 सीटों पर बीजेपी ने बाजी मार ली। साल 2014 में एलजेपी एनडीए में शामिल हो गई। इस चुनाव में एनडीए को 31 सीटें मिलीं। एलजेपी 7 सीटें जीतने में सफल रही।

साल 2019 में एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतीं। इस बार एलजेपी ने सभी 6 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में रामविलास की जगह हाजीपुर उनके भाई पशुपति पारस चुनाव लड़े। पैक्ट के तहत बीजेपी और नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजा। 2019 में चिराग पासवान जमुई से सांसद चुने गए।

अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान की मौत के बाद चाचा-भतीजों में अनबन हो गई। इसके बाद पार्टी में दो फाड़ गए। पशुपति पारस को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया। बीते हफ्ते एनडीए की मीटिंग में चिराग ने पशुपति पारस के पैरे छुए तो लगा कि दोनों चाचा-भतीजों में तल्खी कम हुई है लेकिन ताजा बयानबाजी के बाद यह स्पष्ट है कि दोनों हाजीपुर को लेकर आर-पार के मूड में हैं। बीजेपी ने अब तक इस मसले पर चुप्पी साधी हुई है।