अपने पिता दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को आवंटित सरकारी बंगले को चिराग पसवान ने पिछले हफ्ते खाली कर दिया। इसके बाद चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह से उनके परिवार को बाहर निकाला गया और अपमानित किया गया, उससे उन्हें “धोखा” महसूस हुआ। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सांसद ने कहा कि वह 12 जनपथ स्थित बंगला खाली करने के लिए तैयार थे। रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद उनका परिवार अब इसका हकदार नहीं था, लेकिन ये जिस तरह किया वह गलत था। घर में लगी बाबा साहेब अंबेडकर जैसे महापुरुषों की फोटो फेंकने से उन्हें तकलीफ हुई।
चिराग ने एनडीटीव इंडिया से बात करते हुए कहा, ” जो कुछ सरकार का है वह स्थायी नहीं हो सकता और उस पर दावा करने के बारे में कभी नहीं सोचा जा सकता। मैं भाग्यशाली था कि इतने सालों तक यहां रहा। मेरे पिता ने यहां एक लंबी पारी खेली…यह घर व्यावहारिक रूप से सामाजिक न्याय आंदोलन का जन्मस्थान था। “
चिराग ने आगे कहा, “लॉकडाउन के दौरान मेरे पिता उस घर से प्रवासियों को सड़क पर देखते थे और उनकी चिंता करते थे। उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री को फोन किया। घर जाने का मुझे बुरा नहीं लगा। ये किसी न किसी दिन चला जाता, लेकिन ये जिस तरह से किया गया उससे मुझे आपत्ति है।”
चिराग ने कहा कि बंगला खाली करने की समय सीमा 30 मार्च थी। वह एक दिन पहले जाने के लिए तैयार थे। उन्होंने कहा, “मैं जा रहा था। मुझे नहीं पता कि मुझे घर छोड़ने से क्यों रोका गया और आश्वासन दिया गया। उन्होंने मेरे पिता की फोटो फेंकी गई। बाबा साहेब अंबेडकर की फोटो फेकी गई। लोहिया जी और जयप्रकाश जी जैसे महापुरुष की तस्वीरें घर के कोने-कोने में थीं। उन्हें जिस तरह से सड़क पर फेंका गया, मुझे उससे दिक्कत है। ऐसा करके आपने जिसे पद्म भूषण दिया था उसकी स्मृति का अपमान किया।”
चिराग ने आगे कहा, “मैं पिछले डेढ़ साल से अपने रास्ते पर चल रहा हूं। अगर आपसी सम्मान न हो तो गठबंधन का कोई मतलब नहीं है । उन्होंने पहले मेरे परिवार को विभाजित किया। उन्होंने मुझे अपनी पार्टी से, फिर घर से बाहर निकाल दिया, लेकिन मैं एक शेर का बेटा हूं। मैं अपने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ मिशन के लिए काम करता रहूंगा और अधिक स्पष्टता के साथ काम करूंगा। “