Hajipur Lok Sabha Elections 2024: बिहार की हाजीपुर सीट पर इस बार चिराग पासवान उतरे हैं। इससे पहले यह सीट 2029 में लोकजनशक्ति पार्टी के पशुपति पारस के पास रही थी। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और चिराग के बीच हुए विवाद के बाद, बीजेपी ने इस चुनाव में चिराग को सीट शेयरिंग में वरीयता दी है। चिराग के सियासी मैदान में उतरने को लेकर संशय यह था कि क्या उन्हें पशुपति पारस के विरोध का सामना करना पड़ेगा लेकिन अब उनके लिए एक राहत की खबर आई है।
दरअसल, पशुपति पारस सीट शेयरिंग में शून्य पाने के बाद एनडीए के कुनबे से नाराज थे। एक वक्त ऐसा भी आया था कि उन्होंने यह तक कहा था कि अगर सीट शेयरिंग में उनके गुट को अहमियत नहीं दी गई, तो उनके पास और भी रास्ते खुले हैं। बगावत के तहत ही उन्होंने मोदी सरकार तक से इस्तीफा दे दिया था। वहीं अब पशुपति पारस ने ऐलान किया है कि वे हाजीपुर की सीट पर एनडीए के प्रत्याशी का ही समर्थन करेंगे।
सीट शेयरिंग को लेकर नाराजगी जाहिर करने के बाद पशुपति पारस लंबे वक्त तक गायब थे। माना जा रहा था कि वे नए विकल्प तलाश रहे थे लेकिन फिर अचानक उन्होंने ऐलान किया कि वे एनडीए में ही रहेंगे। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें एनडीए में एक भी सीट नहीं मिली है फिर भी वह खुश हैं। पहले पशुपति ने बगावत करने की कोशिश की थी लेकिन अब उन्होंने सरेंडर की मुद्रा में हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके अलावा चिराग से पारिवारिक विवादों पर भी बयान दिया है।
चुनाव में साथ रहकर लड़ना है जरूरी
पशुपति पारस ने कहा है कि वे हाजीपुर सीट पर चिराग पासवान का समर्थन करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वे बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर एनडीए की जीत ही उनका मकसद है। इसलिए सीट पर चाहे चिराग लड़ें या फिर एनडीए का कोई भी प्रत्याशी, वे उसका समर्थन करेंगे। वहीं चिराग पासवान से मनमुटाव को लेकर पारस ने कहा कि आपसी लड़ाई अलग है लेकिन चुनाव में एकजुट होकर जीतना ज्यादा जरूरी है।
गौरतलब है कि हाजीपुर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए पशुपति पारस की भतीजे चिराग पासवान से लंबी लड़ाई चली थी। पारस इस सीट से फिलहाल सांसद है। जब बीजेपी ने पारस गुट को एक भी सीट नहीं दी थी, तो वे काफी नाराज थे लेकिन अब उन्होंने पीएम मोदी के नेृतृत्व में चुनाव लड़ने और एनडीए को मजबूत करने की मांग की है।
गौरतलब है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ज्यादा प्रयोग नहीं किए हैं, जो दिखाता है कि पार्टी यहां अहम चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी।