केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की कमान अपने बेटे चिराग पासवान को सौंप दी है। मंगलवार को दिल्ली में हुई लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग पासवान को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया। बता दें कि लोजपा के गठन के बाद से अभी तक रामविलास पासवान ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। बेटे को पार्टी की कमान सौंपते हुए रामविलास पासवान ने कहा कि ‘मंत्रालय और पार्टी को एक साथ चलाना उनके लिए मुश्किल हो रहा था।’ बता दें कि हालिया आम चुनावों में चिराग पासवान बिहार की जमुई लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। बीते कई माह से चिराग पासवान को पार्टी की कमान सौंपे जाने के कयास लगाए जा रहे थे। आखिरकार मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर फैसला हो गया।
रामविलास पासवान ने मंगलवार को कहा कि ‘पार्टी का विस्तान करने के लिए युवाओं को पार्टी से जोड़ना जरुरी है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को यह जिम्मेदीरी लेनी होगी।’ चिराग पासवान को पार्टी ने बिहार ईकाई का अंतरिम अध्यक्ष भी चुना है। अभी तक यह जिम्मेदारी रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस निभा रहे थे।
एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान चिराग ने जोरदार तरीके से रखा था लोजपा का पक्ष: बता दें कि बीते आम चुनावों में बिहार में एनडीए के बीच हुए सीटों के बंटवारे में लोजपा की तरफ से चिराग पासवान ने अहम भूमिका निभायी थी। इस बंटवारे के तहत भाजपा और जदयू ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, वहीं लोजपा 6 सीटें पाने में कामयाब रही थी। इसके साथ ही डील के तहत भाजपा ने रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजने का भी वादा किया था।
इससे पहले भाजपा द्वारा बिहार में लोजपा को 5 सीटें ही दी जा रहीं थी, लेकिन लोजपा, भाजपा पर दबाव बनाते हुए 6 लोकसभा और एक राज्यसभा सीट झटकने में कामयाब रही थी। लोजपा की इस कामयाबी के पीछे चिराग पासवान को वजह बताया गया क्योंकि पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान ने चिराग पासवान को गठबंधन संबंधी फैसले लेने के लिए खुली छूट दी थी।
चिराग ने भाजपा को ऐसे बैकफुट पर धकेला: उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले बिहार में एनडीए में टूट देखने को मिली थी और एनडीए की सहयोगी पार्टी रालोसपा ने गठबंधन से दूरी बना ली थी। इसके बाद सीट बंटवारे को लेकर भी एनडीए में विवाद उभरे थे। ऐसे वक्त में चिराग पासवान और लोजपा नेतृत्व ने मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा पर दबाव बनाया और सीट बंटवारे में उचित सम्मान नहीं मिलने पर भाजपा को अन्य विकल्प तलाशने का अल्टीमेटम दे दिया था। इससे एनडीए को मजबूत रखने के लिए भाजपा पर दबाव बढ़ा।
चिराग की राजनैतिक समझ उस वक्त भी देखने को मिली, जब उन्होंने सीट बंटवारे से पहले भाजपा सरकार से नोटबंदी से हुए फायदों पर स्पष्टीकरण मांग लिया। साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के बाद भी लोजपा ने भगवा पार्टी पर दबाव बनाया, जिससे भाजपा लोजपा के सामने बैकफुट पर नजर आयी। इसी दबाव का फायदा लोजपा को सीट बंटवारे में मिला।
बिहार विधानसभा चुनावों में होगी चिराग की अग्निपरीक्षाः बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव चिराग पासवान के लिए अग्निपरीक्षा साबित होंगे। बिहार में दलित और महादलित समुदाय के लोग राज्य के कुल वोटबैंक का 16% हैं। लोजपा का इस वोटबैंक में अच्छा खासा प्रभाव है। इसके साथ ही राज्य के 17% मुस्लिम समुदाय में भी लोजपा की घुसपैठ है। बिहार की राजनीति में दलित और मुस्लिम वोटबैंक हमेशा से ही अहम रहा है। यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए में लोजपा काफी अहम साबित हो सकती है।