चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव जारी है। दोनों देशों ने अलग-अलग स्थानों से अपनी सेनाओं को पीछे किया है। हालांकि, कहा जा रहा है कि पीछे हटने के बावजूद चीनी सेना अभी उन जगहों पर है, जहां उसने कभी दावा तक नहीं किया था। 1960 में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए हुई बातचीत के रिकॉर्ड उठाकर देखे जाएं, तो पता चलता है कि पीएलए की टुकड़ियां इस वक्त पैंगोंग सो और गलवान घाटी में जिस जगह मौजूद हैं, वो बीजिंग के खुद के पुराने दावे के बाहर है।
चीन की सेना इस वक्त लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर मौजूद है। यह इलाका 1960 में चीन की तरफ से तय की गई अपनी सीमा से काफी बाहर है। इससे पहले चीन ने गलवान नदी के मोड़ पर जो टेंट गाड़े थे, वो भी चीन के क्षेत्रीय दावे से काफी दूर हैं। गौरतलब है कि गलवान में इसी जगह पर 15-16 जून की दरमियानी रात को भारतीय और चीनी सेना के बीच विवाद हुआ था। इसमें भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी, जबकि चीन के भी कई सैनिक हताहत होने की खबर थी।
पुराने रिकॉर्ड्स के मुताबिक, चीन का अब तक का एलएसी के बारे में किया गया दावा गलत है। इसके अलावा इन रिकॉर्ड्स से भारत के भी उन दावों पर सवाल खड़े होते हैं, जिनमें कहा गया है कि चीनी सेना भारत के क्षेत्र में नहीं मौजूद है। 1960 में भारत ने इन्हीं जगहों पर पीएलए की मौजूदगी को सीमा का उल्लंघन बताया होता। पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर चीन इस वक्त फिंगर-4 पर मौजूद है और उसने भारत को इसी क्षेत्र पर सीमित कर दिया है। इससे पहले भारत फिंगर-8 तक कई मौकों पर गश्त कर चुका है, लेकिन अब चीन ने इस इलाके में भी एलएसी को 8 किमी भारत की तरफ कर दिया है।