भारत और चीन के बीच पिछले एक महीने से ज्यादा समय से लद्दाख की सीमा पर तनाव है। चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में अपने जवान और मशीनरी तैनात की है। भारतीय सेना भी उसे रोकने के लिए ठीक सामने जुटी है। हालांकि, इस बीच चीनी मीडिया भारत को धमकाने का अपना काम बखूबी कर रही है। चीन का ग्लोबल टाइम्स अखबार खासतौर पर भारत के खिलाफ साइकोलॉजिकल वॉरफेयर की कोशिशों में जुटा है। सोमवार रात को दोनों सेनाओं के बीच हुई मुठभेड़ के बाद अखबार के संपादक हू शिजिन ने कहा है कि भारत टकराव में मारे गए अपने 17 सैनिकों को बचा सकता था, लेकिन उसकी तरफ से रेस्क्यू में देरी और घायलों को उपचार मुहैया कराने में कमी सामने आई है। ये पठारी क्षेत्रों में मॉडर्न कॉम्बैट आर्मी की निशानी बिल्कुल नहीं है।

शिजिन भारत-चीन सेना की मुठभेड़ के बाद से ही लगातार भड़काऊ भाषण देने में जुटे हैं। उनका सबसे ताजा ट्वीट भी भारत और चीनी सेनाओं के टकराव पर ही है। शिजिन ने लिखा है कि भारतीय समाज को अपनी दो गलतफहमियां ठीक करनी होंगी। पहली कि वह भारत को एलएसी पार करने से रोकने की चीन की क्षमता को कमतर आंक रहा है और दूसरी की भारतीयों को लगता है कि उनकी सेना चीन को सीमाई युद्ध में हरा सकती है। इन दोनों बातों की सही समझ ही भारत-चीन की दोस्ती भरे सहअस्तित्व का आधार हो सकता है।

लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक LAC पर भारतीय सेना युद्ध की तरह मुस्तैद

बता दें कि सोमवार को हुई घटना के बाद शिजिन पहले कुछ पत्रकारों में शामिल थे, जिन्होंने चीन के सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी। उन्होंने धमकाते हुए कहा था कि भारत को चीन के सयंम को कमजोरी की तरह नहीं लेना चाहिए। हम भारत के साथ टकराव नहीं चाहते, लेकिन हम इससे डरते भी नहीं हैं। उन्होंने यह खुलासा नहीं किया था कि मुठभेड़ में चीन के कितने सैनिकों की जान गई। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपनी तरफ से सैनिकों की मौत की संख्या नहीं बताई, ताकि दोनों देशों में जनता को मृतकों की तुलना कर मूड बदलने से रोका जा सके।