यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन अमेरिका पर भड़का हुआ है। वहीं चाइना ने वन चाइना पॉलिसी को लेकर भारत को भी चेतावनी दी है। लेकिन भारत ने भी चाइना को दो टूक जवाब दिया है। नई दिल्ली में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास ने एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि “एक-चीन” सिद्धांत भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आम सहमति थी और यह चीन के लिए राजनीतिक नींव के रूप में भी काम करता था।

वहीं अब भारत ने चीन को सख्त चेतावनी दी है। भारत ने चीन को उसके लड़ाकू विमान लद्दाख बॉर्डर से दूर रखने की हिदायत दी है। बता दें कि कुछ दिन पहले चीन के विमान लद्दाख सीमा के काफी नजदीक आ गए थे और भारत ने इसका विरोध दर्ज कराया था। बता दें कि नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद से चीन, ताइवान से सटे इलाकों में सैन्य अभ्यास कर रहा है।

भारत ने इस मुद्दे पर चीन के साथ सैन्यस्तर की बैठक बुलाई और चीन की उकसावे वाली गतिविधियों को लेकर विरोध दर्ज कराया। सरकार के सूत्रों ने समाचार चैनल आजतक को बताया कि यह विशेष सैन्य बैठक मेजर जनरल के नेतृत्व में हुई। यह बैठक मंगलवार को चुंशूल मोल्डो में हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में भारत ने चीनी पक्ष को साफ कर दिया कि विमान उड़ते वक्त अपनी सीमा में रहें। साथ ही वे एलएसी और 10 किमी सीबीएम लाइन का पालन करें।

पूर्वी लद्दाख में विवाद सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी समाचार चैनल आजतक से बातचीत के दौरान कहा था कि भारत एलएसी के पार की हवाई गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहा है। उन्होंने बताया था कि जैसे ही हम एलएसी पर किसी भी चीनी गतिविधि को देखते हैं, हम भी हमने लड़ाकू विमान तैनात कर देते हैं। उन्होंने बताया था कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर रडार लगा रही है, ताकि हम हवा में होने वाली किसी भी गतिविधि पर नजर रख सकें।

चाइना ने भारत को जवाब तब दिया जब संसद में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भारत सरकार से कहा था कि उसे भी ताइवान में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर विचार करना चाहिए। यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने 2 अगस्त को ताइवान का दौरा किया था जिसके बाद विवाद शुरू हुआ।