यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद से चाइना अमेरिका पर भड़का हुआ है और इसके बाद से ही चाइना ताइवान को घेरने में जुटा हुआ है। वहीं श्रीलंका के एक बंदरगाह की ओर जा रहे बैलिस्टिक मिसाइलों और उपग्रहों को ट्रैक करने में सक्षम चीन के एक जहाज ने भारत में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
चाइना के इस कदम से भारत भी चिंतित होगा क्योंकि यदि यह जहाज हिंद महासागर के किसी हिस्से में तैनात किया जाता है, तो जहाज ओडिशा के तट पर व्हीलर द्वीप से भारत के मिसाइल परीक्षणों की निगरानी करने में सक्षम हो सकता है। युआन वांग क्लास जहाज 11 या 12 अगस्त को हंबनटोटा पोर्ट में पहुंचने की उम्मीद है। यह शिप उपग्रहों और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करता है। इसमें 400 क्रू मेंबर हैं और यह एक बड़े परवलयिक ट्रैकिंग एंटीना और विभिन्न सेंसर से लैस है।
भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों को ट्रैक करके चीन भारतीय मिसाइलों के प्रदर्शन और उनकी सटीक सीमा के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होगा। श्रीलंकाई सरकार ने समाचार चैनल एनडीटीवी को बताया कि वे जहाज को डॉक करने की अनुमति देंगे क्योंकि यह एक गैर-परमाणु जहाज है लेकिन वे भारत की चिंताओं से अवगत है। श्रीलंका रक्षा मंत्रालय के मीडिया प्रवक्ता कर्नल नलिन हेराथ ने कहा, “चीन ने हमें सूचित किया कि वे हिंद महासागर में निगरानी और नेविगेशन के लिए अपना जहाज भेज रहे हैं।”
भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि वे जहाज के प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सुरक्षा और आर्थिक हितों पर किसी भी असर की बारीकी से निगरानी करेगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।
इस जहाज को चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन द्वारा नियंत्रित किया जाता है लेकिन इसमें बहुत महत्वपूर्ण सैन्य एप्लीकेशन हैं। बता दें कि चीन ने ताइवान की ओर 11 मिसाइलें भी दागीं हैं और इसमें से 5 जापान में गिरी हैं। जापान ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
भारत को श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव पर संदेह बना हुआ है। श्रीलंका पर चीन का 1.4 अरब डॉलर के हंबनटोटा बंदरगाह सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में कर्ज है।