Mohmand Dam: भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव के बीच एक खबर यह भी है कि चीन ने पाकिस्तान में बन रहे मोहमंद बांध पर काम तेज कर दिया है। यह बांध उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बन रहा है। इस बारे में साउथ चीन मॉर्निंग पोस्ट (South China Morning Post) SCMP ने हाल ही में एक खबर प्रकाशित की है।

17 मई को Chinese Central Television (CCTV) ने खबर दी थी कि मोहमंद बांध पर कंक्रीट डालने का काम शुरू हो गया है। यह पाकिस्तान के लिए मील के पत्थर की तरह है। SCMP ने रिपोर्ट में कहा है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था, उसके बाद यह काम तेज हुआ है।

बताना होगा कि पिछले कई सालों में पाकिस्तान में चल रहे कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में चीन ने पैसा लगाया है। इसमें से एक अहम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत बनाया जा रहा चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (China-Pakistan Economic Corridor) भी है।

पाकिस्तान में बवाल, सिंध के गृह मंत्री के घर पर भीड़ का हमला, तोड़फोड़-फायरिंग

क्या है मोहमंद बांध प्रोजेक्ट?

यह बांध स्वात नदी पर बनाया जा रहा है। यह नदी हिंदूकुश पर्वतों के ग्लेशियरों से निकलती है और साल भर बहती रहती है। स्वात नदी घाटियों और पहाड़ों से होते हुए सिंधु में मिल जाती है। यह प्रोजेक्ट मोहमंद आदिवासी जिले में मुंडा हेडवर्क्स से लगभग 5 किमी ऊपर नदी में है।

Pakistan Water and Power Development Authority की वेबसाइट के मुताबिक इस बांध को बनाए जाने का मुख्य मकसद बाढ़ के खतरे को कम करना है। इसके साथ ही जमीन की सिंचाई करना, हाइड्रो पावर बनाना और स्थानीय आबादी के सामाजिक-आर्थिक हालत में सुधार करना है। इस प्रोजेक्ट पर साल 2019 में काम शुरू हुआ था और दिसंबर, 2025 तक इसे पूरा किया जाना है।

‘एक महीना होने वाला है, पहलगाम के आतंकवादी कहां हैं…’

यह भी जानना जरूरी होगा कि पाकिस्तान के लिए यह प्रोजेक्ट अहम क्यों है? एक बार इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद पाकिस्तान को हर साल 2862 गीगावॉट घंटे की बिजली मिलेगी। SCMP की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह बांध खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर को हर दिन 300 मिलियन गैलन पीने का पानी भी उपलब्ध कराएगा।

बताना होगा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि के समझौते को स्थगित कर दिया था। भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान के लिए बांध का यह प्रोजेक्ट और जरूरी हो गया है। सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी मिलता है। इन नदियों के पानी से पाकिस्तान को पीने और सिंचाई की जरूरत का लगभग 80 प्रतिशत पानी मिलता है। जबकि भारत के पास रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी को इस्तेमाल करने का अधिकार है।

पाकिस्तान के कराची और लाहौर जैसे बड़े शहर पीने के पानी के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर हैं। सिंधु नदी सिस्टम से मिलने वाले पानी से पाकिस्तान के 90% से ज्यादा फसलों को पानी मिलता है। पाकिस्तान अपनी बिजली का पांचवा हिस्सा हाइड्रो पावर से ही पैदा करता है।

पाक आर्मी चीफ का प्रमोशन, समझिए असीम मुनीर के फील्ड मार्शल बनने के मायने

भारत ने बांध पर जताई थी आपत्ति

चीन ने पाकिस्तान में बन रहे एक और अहम हाइड्रो प्रोजेक्ट में पैसा लगाया है। यह डायमर-भाषा बांध है। भारत की ओर से इस पर आपत्ति किए जाने के बावजूद इसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बनाया जाना है। इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार ने 2018 में इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा जुटाना शुरू किया था लेकिन उनकी योजना फेल हो गई थी।

इमरान खान ने जुलाई 2020 में इसका उद्घाटन किया था और कहा था कि यह पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा बांध होगा लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सका और इसके लिए पैसे की किल्लत सामने आई। इस साल मार्च में ही स्थानीय लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था।

यह भी पढ़ें- ऑपरेशन सिंदूर के बाद LoC पर सेना की बड़ी प्लानिंग