भारत और चीन के बीच सीमा और कुछ राजनयिक मुद्दों पर विवाद के बावजूद राजनीतिक संपर्क और बातचीत जारी है। भारत और चीन के विभिन्न राज्यों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने के एजंडे पर बातचीत करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के छह सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को भारत दौरे पर पहुंचा। ये सभी पांच दिनों तक भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलेंगे, विभिन्न राज्यों के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। चीन के विदेश मंत्री वांग यी और स्टेट को-आर्डिनेटर यांग जाइशी के दौरे के बाद चीन से यह तीसरा सबसे बड़ा दौरा माना जा रहा है।

इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मेंग शिआंगफेंग कर रहे हैं। मेंग को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बेहद करीबी माना जाता है। वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी की आमसभा के उपनिदेशक भी हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय संपर्क विभाग (आइडीसीपीसी) के बीच आदान-प्रदान समझौते के तहत दौरे का आयोजन किया गया है। भारत प्रवास में इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2015 में चीन दौरे के समय राष्ट्रपति शी की मौजूदगी में विदेश मंत्रालय और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात तय हुई थी। इस मुलाकात का उद्देश्य भारत के राज्यों और चीन के प्रांतों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना है। इस प्रतिनिधिमंडल के दौरे को चीन की महात्वाकांक्षी सीपीईसी (ईरान से पाक अधिकृत कश्मीर होकर चीन तक जाने वाली अंतरदेशीय राजमार्ग परियोजना) परियोजना से चल रही कवायद से जोड़कर भी देखा जा रहा है। चीन की कोशिश है कि भारत भी इस परियोजना से जुड़ जाए। रणनीतिक कारणों से भारत इसका विरोध कर रहा है। चीन ने इस परियोजना से अफगानिस्तान को जोड़ने की कवायद शुरू की है।