भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले करीब तीन महीने से तनाव जारी है। हाल ही में दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ताओं का दौर चला, जिसके बाद दोनों देशों के बीच LAC से सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बनी। पिछले कुछ दिनों में भारत और चीन ने टकराव वाली जगहों से टुकड़ियों को पीछे भी खींचा है। हालांकि, ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने कई जगहों पर अब भी अपनी टुकड़ियां तैनात रखी हैं। बताया गया है कि डेपसांग प्लेन्स क्षेत्र, गोगरा और पैंगोंग लेक के करीब फिंगर एरिया में अभी भी चीनी सैनिक जमे हुए हैं।
न्यूज वेबसाइट एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि गलवान, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग लेक के नजदीक फिंगर एरिया में कुछ जगहों पर दोनों सेनाएं पीछे हटी हैं। लेकिन गोगरा और डेपसांग प्लेन्स में चीन की तरफ से ऐसा कोई मूवमेंट नहीं हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन फिलहाल फिंगर-5 से पीछे नहीं जाना चाह रहा। उसने मई से ही पैंगोंग सो से सटी पहाड़ियों पर फिंगर-8 से लेकर फिंगर-5 तक का इलाका घेरा है। यह क्षेत्र दोनों ही देशों के बीच विवाद का हिस्सा है।
दूसरी तरफ न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चीनी सेना ने अब तक टकराव को कम करने के कोई संकेत नहीं दिए हैं। उसके करीब 40 हजा सैनिक अभी भी लद्दाख से लगी सीमाओं पर जमे हैं उनके पास एयर डिफेंस सिस्टम और हथियारों से लदे वाहन मौजूद हैं। इसके अलावा उसने अंदरूनी इलाकों में लंबी मारक क्षमता वाले हथियार भी इकट्ठा कर रखे हैं। सूत्र ने बताया कि चीनी सेना अब तक तय शर्तों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख से पीछे नहीं हटी है। चीनीयों ने हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट क्षेत्र में कुछ निर्माण कार्य भी पूरे कर लिए हैं।
गौरतलब है कि भारत भी चीन की इस वादाखिलाफी के बदले में एलएसी पर सेना के मजबूत करने में जुट गया है। भारत सर्दी के मौसम में सेना को लद्दाख में चीन से टकराव वाले क्षेत्र में जमे रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में राशन भिजवा रहा है। इसी के साथ उन्हें सर्दी के लिए जरूरी उपकरण और कपड़े भी भेजे जा रहे हैं। इसके लिए करीब 6 हजार एएलएस ट्रकों की मदद ली जा री है, जिनसे राशन के अलावा केरोसीन भी सेना तक पहुंचाया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना को एलएसी पर मौजूद अपने 30 हजार सैनिकों के लिए 20 हजार टन अतिरिक्त राशन की जरूरत पड़ सकती है।