सीमा पर चीन के रवैये को देखते हुए भारत ने भी सख्‍त रुख अपना लिया है। यही वजह है कि चीनी सेना पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने भारतीय सेना पर आक्रामक रुख अपनाने का आरोप लगाया है। वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्‍तर की वार्ता हो चुकी है। इसमें दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। डोकलाम में पिछले साल दोनों देशों की सेनाएं आमने-समने आ गई थीं। दो महीनों से भी ज्‍यादा समय तक टकराव की स्थिति बनी रही थी। व्‍यापक कूटनीतिक प्रयास के बाद हालात सामान्‍य हुए थे।

दोनों देशों के बीच दिसंबर में विशेष प्रतिनिधि स्‍तर के 22वें दौर की वार्ता हुई थी। डोकलाम विवाद के शांत होने के बाद भारत और चीन के वरिष्‍ठ प्रतिनिधि पहली बार आमने-सामने बैठे थे। अब पीएलए ने एक बयान जारी कर भारतीय सुरक्षाबलों पर आक्रामक रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। चीनी सेना ने भारत से अपनी सेना को नियंत्रित करने की मांग की है। ‘हिंदुस्‍तान टाइम्‍स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए ने सार्वजनिक बयान जारी करने से पहले डिप्‍लोमेटिक चैनलों से आपत्ति दर्ज कराई थी। चीनी सेना ने कहा कि सीमा पर गश्‍ती के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों के साथ हुई हाथापाई में उसके जवान घायल हो गए थे। इस दौरान पड़ोसी मुल्‍क ने भारतीय सुरक्षाबलों पर ज्‍यादा आक्रामक होने का आरोप लगाया है। चीनी सेना का कहना है कि भारतीय जवान इस तरह आक्रामक हो रहे थे मानो जैसे यह पाकिस्‍तान की सीमा हो। हालांकि, दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद पिछले 40 वर्षों में एक बार भी गोलीबारी की घटना नहीं हुई है।

भारत का इनकार: भारतीय सेना और आईटीबीपी ने पीएलए के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। भारतीय सुरक्षाबलों ने उलटे पीएलए पर आक्रामक होने का आरोप लगाया है। उन्‍होंने बताया कि ‘पैनगोंग सो’ इलाके में हुई घटना में चीनी जवान लोहे की रॉड और डंडे से लैस होकर आए थेेे। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सुरक्षाबल वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर गश्‍ती को लेकर बेहद संवेदनशील और सीमाई क्षेत्र में शांति बनाए रखने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। मालूम हो कि पीएलए ने पहली इस मामले को चेंग्‍दू वार्ता के दौरान उठाई थी।