Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा देखने को मिली। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई है। रविवार को पिंकी दास ने भी हिंसा के भयावह मंजर को याद करते हुए कहा कि हमले शुरू होने के बाद हम पुलिस को लगातार फोन करते रहे। किसी ने जवाब नहीं दिया। मेरे पति और ससुर की हत्या करने के बाद भी, उनके शव तीन घंटे तक हमारे घर के पास पड़े रहे।

शुक्रवार को उनके पति चंदन दास और उनके ससुर हरगोबिंद दास की पश्चिम बंगाल में नए वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ मुर्शिदाबाद जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने हत्या कर दी थी। राज्य सरकार के मुताबिक इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया गया है। पिंकी दास ने कहा, ‘मुझे न्याय कौन दिलाएगा? अब हम कैसे जिएंगे।’

हिंदुओं के घरों और दुकानों में तोड़फोड़

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिंकी के गांव की एक सदस्य श्राबनी दास ने कहा कि भीड़ ने उनके घर में भी आग लगा दी। स्थानीय कांग्रेस नेता दास ने कहा, “हम डरे हुए हैं और नहीं जानते कि क्या हम कभी यहां फिर से रह पाएंगे।” रविवार को समसेरगंज के टीएमसी विधायक अमीरुल इस्लाम और बीजेपी के ब्लॉक संयोजक उत्तम कुमार दास पिंकी के घर के पास एक साथ खड़े थे। इस्लाम ने कहा, “जिन्होंने ऐसा किया वे जानवर हैं। हम परिवार के साथ खड़े हैं।” दास ने कहा, “बड़ी संख्या में हिंदुओं के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। ऐसा कई अन्य गांवों में भी हुआ।”

बंगाल के 9 जिलों की डेमोग्राफी बदल चुकी है

बच्चे अपने पिता और दादा को ढूंढ रहे – पिंकी की सास

पिंकी की सास पारुल दास ने कहा, ‘हम असहाय थे। मैं बच्चों को छत पर ले गई और वहीं छिप गई। अब, बच्चे अपने पिता और दादा को ढूंढ रहे हैं।’ उन्होंने आगे बताया कि चंदन एक राजमिस्त्री था और उसका पति एक किसान था जिसके पास कुछ बीघा जमीन थी। इस बीच रविवार को सेलिमा के घर के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई थी। एजाज के चाचा शाहिद शेख ने कहा, ‘मौत के बाद कोई भी राजनेता या पुलिसकर्मी हमारे घर नहीं आया। अस्पताल में हमें बताया गया कि शव पोस्टमार्टम के बाद सौंप दिया जाएगा।’

अस्पताल में एजाज ने तोड़ा दम

एजाज की पत्नी सेलिमा ने कहा कि वह 28 मार्च को ईद के लिए घर आया था। शुक्रवार की सुबह वह इस्लामपुर में अपने चाचा से मिलने गया। घर लौटते समय वह साजुरमोर में अराजकता में फंस गया। किसी ने हमें वहां से फोन करके बताया कि उसे पुलिस ने गोली मार दी है। स्थानीय लोगों ने एजाज को पास के जंगीपुर अस्पताल और फिर मुर्शिदाबाद जनरल अस्पताल में ले जाया, जहां उसकी मौत हो गई। एजाज के बचपन के दोस्त ओदुध शेख ने कहा, ‘एजाज अपने पिता, मां, पत्नी और बेटी के साथ रहता था। गुरुवार की रात को हमने उसके साथ पिकनिक मनाई। उसे फुटबॉल बहुत पसंद था। शुक्रवार को हमें पता चला कि उसे गोली मार दी गई है।’ मुर्शिदाबाद हिंसा में अब तक क्या-क्या हुआ