ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने को IT एक्ट में अपराध नहीं कह सकते, कर्नाटक हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। असल में एक मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी का जिक्र किया। कहा गया कि अगर किसी ने सिर्फ चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखी है, उसके खिलाफ केस दर्ज नहीं हो सकता, जब तक उस वीडियो या तस्वीर को शेयर नहीं किया जा रहा, उसे IT एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

यह पूरा मामला क्या है?

अब जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल इनायतुल्लाह नाम के युवक पर आरोप लगा था कि उसने 50 मिनट तक अपने फोन पर बच्चों की अश्लील तस्वीरें देखीं, उसने पोर्न वीडियो देखी। इस घटना के दो महीने बाद बेंगलुरु साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 बी के तहत शिकायत दर्ज कर ली। फिर उसी शिकायत को इनायतुल्लाह को चुनौती दी।

आवेदक के वकील ने क्या कहा?

उसके वकील ने कोर्ट ने साफ कहा कि उसके क्लाइंट को बच्चों के पोर्न वीडियो देखने की लत है, लेकिन उसने कभी भी ऐसे वीडियो को शेयर या उसका प्रसार नहीं किया है। इसी तर्क के आधार पर केस को वापस लेने की मांग की गई। दूसरा पक्ष लेकिन दलील देता रहा कि इस शख्स चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखी है और उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए। लेकिन हाई कोर्ट ने पूरे मामले को सुनने के बाद शिकायत रद्द करने का फैसला लिया है।

कोर्ट ने क्या कहा है?

कोर्ट ने कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी में लिखा कि अगर कोई शख्स बच्चों की अश्लील तस्वीरें तैयार करे, उन्हं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शेयर करे, तब उसे दंडित किया जा सकता है। लेकिन यहां आवेदक ने कोई पोर्नोग्राफी नहीं बनाई है, उसने किसी को शेयर भी नहीं किया है, सिर्फ देखा है। इसे आईटी एक्ट में अपराध नहीं मान सकते हैं।

फैसला जरूरी क्यों

अब कर्नाटक हाई कोर्ट का यह फैसला मायने रखता है क्योंकि देश में कई मौकों पर ऐसे ही केस दर्ज हो जाते हैं जहां पर किसी ने पोर्नोग्राफी वीडियो देखी हो। लेकिन अब जब अदालत ने साफ कहा है कि जब तक ऐसे वीडियो को शेयर ना किया जाए, इसे अपराक्ष की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है।