तमन्ना अख्तर
कहा जाता है कि अकेला गुरुग्राम ही पूरे हरियाणा की अर्थव्यवस्था को तो संभालता ही है, साथ ही देश की आर्थिकी को भी काफी मजबूती देता है। ऐसे अत्याधुनिक और आत्मनिर्भर जिले के गांवों की तरफ निगाह दौड़ाई जाए तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है। शहर में महिला उद्यमियों और इंजीनियरों को देख जहां महिला सशक्तिकरण के नारे बुलंद होते हैं, वहीं इसके साथ ही सटे गांवों में बाल विवाह, लड़कियों के घरों के काम तक ही सीमित रहने, किसी भी महत्त्वपूर्ण फैसले में उनकी न के बराबर भागीदारी की घटनाएं हर घर-परिवार में स्पष्ट दिखाई देती हैं। शहर और इसके गांवों के बीच में इतनी बड़ी खाई नजर आती है जिसे भर पाना आसान नजर नहीं आता।
जिले के सोहना तहसील के तहत खारोडा में 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल साक्षरता दर 65 प्रतिशत है, जिसमें महिला साक्षरता दर 26.3 फीसद है। लड़की घर की इज्जत, जातिवाद, परंपरा, लोग क्या कहेंगे, जैसे वाक्य यहां आज भी उतने ही मजबूत है जितने की बरसों पहले थे। गांव में कक्षा नौंवी में पढ़ने वाली स्नेहा (बदला हुआ नाम) महज 14 साल की है। उसकी शादी को एक साल हो गया है। वह बताती है, ‘मेरी शादी को एक साल हो गया है। मेरे पति 12वीं में पढ़ते है। फिलहाल मैं अपने मां-पापा के साथ रहती है। बाकी मेरी 12वीं होने के बाद की कहानी मेरे ससुराल वाले तय करेंगे।’
स्नेहा से जब शादी के मायने पूछे गए तो जवाब मिला, ‘शादी मतलब ढेर सारे नए कपड़े…मैं जितना मर्जी जब मर्जी मेकअप कर सकती हूं। चूंकि शादी मेरी है तो मेरे घर वाले उस दिन सजने-संवरने के लिए टोकेंगे नहीं। यह कितनी बड़ी आजादी है।’ उसी की सहपाठी शमा (बदला हुआ नाम), जो फिलहाल पढ़ाई छोड़ चुकी है, की शादी एक मार्च को है। उसका पति एक कंपनी में कार्यरत है। शमा ने शाद ी को लेकर कहा, ‘मेरे घर में सिर्फ मेरे भाई की चलती है। मेरा सोचना किसी के लिए मायने नहीं रखता। घर वालों ने तय कर दिया तो मैं भी खुश हूं।’
मेकअप, नए कपड़े, जेवर, पर्स जैसे चीजों की चमक ही है जो इनकी मर्जी से इनकी आंखों में है बाकी जिंदगी की डोर पहले पिता/भाई और बाद में ससुराल वालों को सौंप दी जाती है। एक ही जैसे विचारधारा के साथ वहां बैठी सभी लड़कियां बोली, ‘हमारे यहां ऐसा होता है और हमें इससे कोई आपत्ति भी नहीं है।
गांव की एक और निवासी आकाशी पाल (बदला हुआ नाम) की शादी 2017 में हो चुकी है। उसका पति भी अपनी आगे की पढ़ाई कर रहा है। अपने सपनों के लिए बुलंद इरादों के चलते आकाशी ने हार नहीं मानी और अपने ससुराल वालों से बातचीत कर उन्हें मनाकर यहां अपने पिता के घर रहकर स्नातक की पढ़ाई कर रही है। वह बताती है, ‘यहां पर चिंता जाहिर भी है। मुझे खुद कॉलेज के लिए गांव से दूर जाना पड़ता है। मेरे साथ कोई भी जाने वाला नहीं। और मैं हररोज अपने भाई या पिता को साथ चलने को नहीं बोल सकती, आखिर उन्हें भी कई काम होते है। कालेज से वापस आते-आते कई बार शाम हो जाती है। उन्हें मेरी चिंता होती है लेकिन यहां गांव के आसपास कोई अच्छा शिक्षा संस्थान भी तो नहीं है कि मैं वहां जाऊं।’ आकाशी का कहना है कि उनका पति उन्हें उनके सपने पूरे करने के लिए पूर्ण समर्थन देता है।
हरियाणा बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने बताया, ‘करीब दो साल पहले हमने प्रदेश के जिला हिसार के गांधीनगर को प्रदेश का पहला बाल विवाह मुक्त गांव करार दे प्रमाण पत्र प्रदान किया था। यह पहलकदमी 2014 में शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत ग्रामीण सरपंच को गांव में होने वाली शादियों की जानकारी देंगे।
खट्टर सरकार सिर्फ कानून बनाकर खानापूरी करने में विश्वास नहीं करती बल्कि उन्हें अमली रूप देने के लिए ठोस कदम भी उठाती है। इसी का परिणाम है कि हरियाणा में लिंगानुपात कम हुआ है। बाल विवाह आदि समस्याओं को लेकर सख्त निर्देश दिए गए हैं और इसमें किसी भी तरह की कोताही स्वीकार नहीं की जाएगी।
-कमलेश डांढा, हरियाणा महिला एवं बाल विकास (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री
समाज की कुरीतियों को जड़ से उखाड़ने के लिए आयोग प्रयासरत है। हमने इस बाबत राज्य आयोग बना रखे हैं। इस संदर्भ हम दो तरह से काम करते है- पहला निवारक उपाय और दूसरा रोकथाम उपाय। निवारक उपाय में हम कानून की मदद ले ऐसी घटनाओं को रोकते हैं और शादियों के सीजन में हम जगह-जगह अध्यादेश जारी करते हैं। दूसरी ओर रोकथाम में हम कार्यशालाएं आयोजित कर लोगों को जागरूक करते हैं ताकि वह निजी स्तर पर ऐसा न होने दें।
-प्रियंक कानूनगो, अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
‘बदलाव एक दिन में तो आता नहीं। धीरे-धीरे कुरीतियों से लड़ना होगा। एक के साथ जब कई आवाज मिलेंगी तो बदलाव भी आएगा और लोग जागरूक भी होंगे।’, सेल्फी विद डॉटर के संस्थापक सुनील जागलान, जो इन किशोरियों को अपने लिए खड़े होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, का कहना है कि एकदिन खड़े होकर अगर आप बरसों से चली आ रही किसी रीत रिवाज को गलत कह दोगे तो जाहिर है लोग आपको चुप करा देंगे।