Supreme Court: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने कहा है कि संविधान न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के चार खंभों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि जज होना 9 से 5 वाली नौकरी नहीं है, यह देश और समाज की सेवा है लेकिन यह कठिन काम भी है। जस्टिस गवई गुरुवार को औरंगाबाद में मुंबई हाई कोर्ट बेंच के अधिवक्ता संघ द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे।

CJI गवई ने कहा, ‘मैंने हमारे संविधान की प्रस्तावना में लिखे गए शब्दों के मुताबिक काम करने की कोशिश की है। अगर न्यायपालिका के सभी सदस्य संविधान के सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखें तो किसी भी जज के लिए काम करना मुश्किल नहीं होगा।’

समाज से अलग न रहें जज- CJI

CJI ने कहा कि जजों को समाज से अलग-थलग नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर कोई जज समाज से जुड़ा रहता है और उसकी परेशानियों को समझता है तो इससे उसे फैसले देने में मदद मिलती है। जजों को कभी भी अलग-थलग नहीं रहना चाहिए। अगर दो वकीलों से मिलने से किसी जज की निष्पक्षता प्रभावित होती है तो ऐसा व्यक्ति जज बनने लायक नहीं है।’

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CJI ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने से जजों के लिए काम करना आसान हो जाता है। गवई ने कहा, ‘…नामों की सिफारिश करते समय हमने कभी भी उम्मीदवार की जाति, पंथ या संप्रदाय को नहीं देखा, बल्कि केवल उम्मीदवार की योग्यता पर भरोसा किया। वह नौकरी के लायक है या नहीं, उम्मीदवार में ईमानदारी है या नहीं, उसे कानून का गहन अध्ययन और ज्ञान है या नहीं…पदोन्नति तय करते समय केवल इन बातों पर ध्यान दिया जाता है।’

CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ CJI का नहीं, बल्कि सभी जजों का सुप्रीम कोर्ट होना चाहिए और इसलिए सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए।

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कोल्हापुर में बेंच का किया समर्थन

गवई ने औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) के साथ अपने जुड़ाव को भी याद किया और कहा कि औरंगाबाद से उनका भावनात्मक संबंध है। CJI ने कोल्हापुर में बॉम्बे हाई कोर्ट की अलग बेंच का समर्थन किया।

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