Gujarat High Court News: गुजरात हाई कोर्ट में शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और सीनियर वकील बृजेश जे त्रिवेदी के बीच में तीखी नोकझोंक हुई। बार अध्यक्ष ने कोर्ट में चीफ जस्टिस के आचरण की आलोचना की और कहा कि वह वरिष्ठ वकील सहित अन्य वकीलों को कभी भी अपनी दलीलें पूरी नहीं करने देतीं। त्रिवेदी ने यहां तक कहा कि वह इस स्थिति को सहन कर रहे हैं, लेकिन यह बार-बार हो रहा है और यह ठीक नहीं है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरी तीखी नोकझोंक उस समय शुरू हुई जब चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की बींच अवैध निर्माण के मुद्दे से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सीनियर वकील इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए थे। जस्टिस अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘मिस्टर एडवोकेट, कृप्या मुझे मेरी बात को पूरी करने दीजिए। मैं कुछ बयान दे रही थी। मैं आपसे कुछ पूछ रही थी, आपने मुझे अपना सवाल पूरा नहीं करने दिया।’ मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकील को सवाल सुनना चाहिए और उसके बाद ही वह जवाब देना चाहिए।

वकील की टिप्पणी पर भड़क गईं चीफ जस्टिस

वकील त्रिवेदी ने कहा कि आप कितने सवाल पूछेंगी मैडम जज। खैर आप अपनी बात कह सकती हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश भड़क गईं। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि वकील को अदालत को बोलने देना चाहिए। फिर त्रिवेदी ने कहा कि मुझे लगता है कि यह वही तरीका है जिस तरह से मैं यहां से कह सकता हूं लेकिन कोई मुद्दा नहीं है। मैं मुद्दों में शामिल नहीं होना चाहता।

गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की गलती को क्यों नहीं सुधारा

वकील त्रिवेदी इतने पर ही नहीं रूके उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कोर्ट को किसी लंबित मामले पर इस तरह से फैसला नहीं करना चाहिए। मुझे अपनी बात पूरी करने की इजाजत दी जाए। मैं सवालों को समझ गया हूं। सवाल को पहले ही समझ लेना मेरी गलती थी और इसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूं।’ जब वकील त्रिवेदी अपनी दलीलें दे रहे थे तो जस्टिस अग्रवाल ने कुर्सी पर अपना सिर टिका दिया और ऊपर की तरफ देखने लगीं। हालांकि, त्रिवेदी ने चीफ जस्टिस की तरफ देखते जनहित याचिका को दूसरी बेंच को भेजने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस को जनहित याचिका पर इस तरह सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

वकीलों को बोलने की नहीं दे रहीं इजाजत- सीनियर वकील त्रिवेदी

वकील ने आगे कहा, ‘आप इस तरह से सुनना चाहती हैं, यहां तक ​​कि वकीलों को बोलने की इजाजत भी नहीं दे रही हैं। इतना ही काफी है। आप इस मामले को छोड़ सकती हैं और इसे किसी अन्य बेंच के सामने रख सकती हैं। आपको इस तरह से व्यवहार नहीं करना चाहिए, आप कहीं और देखें। मेरा आग्रह है कि इस मामले को छोड़ दिया जाए और दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया जाए। योर लेडीशिप आप कहीं और देख रही हैं, ऐसा इस कोर्ट में 65 सालों में कभी भी नहीं हुआ है।’ चीफ जस्टिस ने आखिरकार बोलते हुए कहा कि बेंच इस कोर्ट में हंगामा खड़ा करने की इजाजत नहीं देगी। त्रिवेदी ने कहा मैं कोई तमाशा नहीं खड़ा कर रहा हूं। मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने त्रिवेदी की ओर देखते हुए कहा, ‘कृपया कोर्ट की ओर उंगली न उठाएं।’ 95 साल के बीमार पिता का जिक्र कर गोधरा कांड के दोषी ने मांगी जमानत पढ़ें पूरी खबर…