Chief Justice DY Chandrachud: चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी विदाई के मौके पर दिए गए भाषण में पुरानी यादों को शेयर करने के साथ ही लोगों को गुदगुदाने की भी कोशिश की। सीजेआई ने कहा कि वह सबसे ज्यादा ट्रोल किए जाने वाले जजों में से एक हैं। याद दिलाना होगा कि चंद्रचूड़ अब सीजेआई के पद से रिटायर होने जा रहे हैं और उनके लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को विदाई समारोह आयोजित किया था।

इस दौरान चंद्रचूड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में हैरानी जताते हुए कहा कि सोमवार से आखिर क्या होगा क्योंकि जो लोग उन्हें ट्रोल करते हैं वे अब बेरोजगार हो जाएंगे। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने इस पर ठहाके लगाए। इस दौरान उन्होंने एक शायरी पढ़ते हुए कहा कि- मुखालिफत से मेरी शख्सियत संवरती है, मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूं। यह शेर मशहूर शायद बशीर बद्र का है।

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विदाई समारोह में चंद्रचूड़ ने अपने न्यायिक सफर से जुड़ी कई बातों को लोगों से साझा किया। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अपने पुराने दिनों को याद किया और कहा कि इस दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखा था। बताना होगा कि चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस के पद पर भी रह चुके हैं।

चंद्रचूड़ ने अपने साथियों की सराहना करते हुए कहा कि जिस तरह हम लोगों ने काम किया है, उसके लिए वह अपने कॉलेजियम के हमेशा आभारी रहेंगे। बताना होगा कि भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना बनेंगे। उन्होंने संजीव खन्ना पर भरोसा जताया और कहा कि वह यह कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट विद्वान हाथों में जा रहा है।

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कई बड़े फैसले दिए चंद्रचूड़ ने

चंद्रचूड़ अपने बड़े फैसलों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। राम मंदिर पर फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की कांस्टीट्यूशन बेंच में भी जस्टिस चंद्रचूड़ थे। इसके साथ ही इलेक्टोरल बॉन्ड को खत्म करने, आर्टिकल 370 को लेकर हुई सुनवाई हो या फिर दिल्ली बनाम केंद्र सरकार के लंबे विवाद पर भी जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई की थी।

अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से कहा कि भारत का संविधान निजता के मौलिक अधिकार यानी राइट टू प्राइवेसी की गारंटी देता है। बेंच में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने निजता और गरिमा के अधिकार को जीवन के अधिकार का जरूरी हिस्सा माना था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने तहसीन पूनावाला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में जज लोया की मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग को खारिज कर दिया था। जज लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे।