छत्तीसगढ़ में माओवादियों का खात्मा हो रहा है। इस बीच यहां से एक अच्छी खबर आई है। छत्तीसगढ़ का एक दूरदराज का गांव, जो एक साल पहले तक सड़क के रास्ते से पहुंच योग्य नहीं था और माओवादियों के नियंत्रण में था, वहां गुरुवार को पहली बार बिजली कनेक्टिविटी मिली। बीजापुर जिले में स्थित छुटवाही गांव बीजापुर मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर है। दो महीने पहले सुरक्षाबलों द्वारा इलाके से माओवादियों का सफाया करने के लिए चलाए गए नक्सल विरोधी अभियान और मुठभेड़ों के बाद वहां एक सुरक्षा शिविर स्थापित किया गया था।

हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है- बीजापुर कलेक्टर

बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “हम आजादी के बाद पहली बार ग्रामीणों को बिजली उपलब्ध कराने में सक्षम हुए हैं क्योंकि हमें इन क्षेत्रों तक पहुंच मिल रही है। बीजापुर में नए सुरक्षा शिविर स्थापित हो रहे हैं। जैसे ही नए सुरक्षा शिविर खुलेंगे और हमें गांवों तक पहुंच मिलेगी, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। अगले साल तक हम उन्हें सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने का प्रयास करेंगे।”

संबित मिश्रा ने आगे कहा कि नियाद नेल्लानार योजना के तहत बिजली के अलावा हम उन्हें जल जीवन मिशन, मोबाइल टावर, स्कूल, आंगनवाड़ी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पानी की आपूर्ति प्रदान कर रहे हैं।

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100 से अधिक गांवों में नहीं है बिजली कनेक्शन

एक अधिकारी के अनुसार बीजापुर के 100 से अधिक अन्य गांवों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं है। अधिकारी ने बताया कि जैसे-जैसे सुरक्षा बल आगे बढ़ेंगे और गांवों को माओवादियों से मुक्त कराएंगे, प्रशासन निवासियों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत बिजली और अन्य लाभ प्रदान करने में सक्षम होगा।

इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने 210 माओवादियों को मार गिराया है। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से एक साल में सबसे अधिक माओवादियों को इसी साल मार गिराया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा में 17 सुरक्षाकर्मी और 62 नागरिक मारे गए हैं। इस क्षेत्र में बीजापुर समेत सात जिले शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खात्मे का वादा बीजेपी ने भी चुनाव प्रचार में किया था। पढ़ें कैसे नक्सलियों के खिलाफ हल्ला बोल रहे सुरक्षाकर्मी