छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का कहना है कि वह भगवान ‘श्रीराम के वनगमन पथ’ के हिस्सा रहे राज्य के 8 स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगी। सरकार की तरफ से यह फैसला बृहस्पतिवार को छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक के बाद लिया गया।

कैबिनेट विज्ञप्ति में कहा गया कि इस बात के प्रमाण हैं कि भगवान राम ने अपने वनवास के 14 साल में से कम से कम 10 साल छत्तीसगढ़ में व्यतीत किए थे। विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि खोजकर्ताओं की तरफ से लिखी गई किताबों के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने 14 में 10 साल छत्तीसगढ में बिताए थे।

विज्ञप्ति में कहा गया कि छत्तीसगढ़ में ऐसे 75 स्थान हैं जहां प्रभु श्रीराम गए थे। इनमें से 51 स्थानों पर वह ठहरे भी थे। पहले चरण के तहत 8 स्थानों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें कहा गया, ‘छत्तीसगढ़ सरकार पर्यटन की दृष्टि से राम वन गमन पथ को विकसित कर रही है। इसके विकास को देखते हुए इसके बारे में पर्यटकों के साथ ही राज्य के लोगों को भी अवगत कराना होगा। इ

न स्थलों पर आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस स्थानों के लिए राज्य सरकार बजट का आवंटन करेगी। इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार से भी फंड मांगा जाएगा जिससे कि इन स्थलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर बनाया जा सके।’

राज्य सरकार के इस कदम पर विपक्षी दल भाजपा ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि लोग इस ‘नाटक’ को देखेंगे। भाजपा नेता ओपी चौधरी ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति करना कांग्रेस का इतिहास रहा है। कांग्रेस का अवसरवादिता का इतिहास रहा है फिर चाहे वह भगवान श्रीराम हो या अयोध्या मंदिर। सिविल सोसाइटी एक्टिविस्टों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। कांग्रेस और भाजपा में बहुत कम अंतर रह गया है।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कई वादे किए थे। किसानों को सिर्फ 2500 रुपये देने से काम नहीं चलेगा। सिंचाई, वन अधिकार कानून पर काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही कथित इनकाउंटर पर भी रोक लगानी चाहिए।