पिछले साल तक छत्तीसगढ़ में गर्भधारण करने वाली महिलाओं पर एचआइवी संक्रमण को लेकर चिंताजनक खबरें आई थीं। कई ऐसे मामले आए जिनमें नवजात बच्चे जानलेवा मर्ज के साथ इस दुनिया में आए। लेकिन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रक कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार के चलाए अभियान ने इस बार कामयाबी की राह पकड़ी है। एचआइवी संक्रमित गर्भवती माताओं के बहुऔषधि उपचार के उत्साहवर्धक नतीजे सामने आए हैं। एड्स दिवस पर मंगलवार को खबर मिली है कि बीते दिनों ऐसी माताओं से जन्म लेने वाले 179 शिशु एचआइवी मुक्त हैं। ये बच्चे सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी सकेंगे।

आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत राज्य एड्स नियंत्रण समिति की ओर से राजधानी रायपुर सहित राज्य के दस जिलों में संचालित एआरटी केंद्रों में एचआइवी संक्रमित लोगों को 21 प्रकार की दवाएं मुफ्त दी जा रही है। सेहत महकमे के अधिकारियों ने बताया कि एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं से जन्म लेने वाले शिशुओं को इस संक्रमण से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अपनाई जा रही बहुऔषधि उपचार प्रणाली काफी परिणाममूलक और उत्साहवर्धक साबित हो रही है। इस पद्घति से किए गए उपचार के फलस्वरूप 181 संक्रमित महिलाओं का प्रसव होने पर उनके 179 नवजात शिशुओं को एचआइवी के संक्रमण से मुक्त पाया गया है।

उन्होंने बताया कि राज्य के तीन शासकीय मेडिकल कॉलेजों रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर सहित सभी 27 जिला अस्पतालों में यौन रोगों के उपचार के लिए कुल 30 सुरक्षा क्लीनिक स्थापित किए गए हैं। समिति ने गर्भवती महिलाओं की एचआइवी जांच करने के लिए चार स्थानों पर पीपीटीसीटी सेंटर स्थापित किए हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं की 114 आइसीटीसी केंद्र में भी एचआइवी की जांच कराने की व्यवस्था की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य में एआरटी केंद्र रायपुर के आंबेडकर अस्पताल सहित दुर्ग, जगदलपुर, बिलासपुर और अंबिकापुर के शासकीय जिला अस्पतालों में संचालित किए जा रहे हैं। इन पांच एआरटी केंद्रों से पांच लिंक एआरटी. केंद्रों को जोड़ा गया है। ए लिंक एआरटी केंद्र कोरबा, महासमुंद, जांजगीर, कांकेर और राजनांदगांव के जिला अस्पतालों को संबद्घ किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन सभी एआरटी केंद्रों में वर्तमान में सात हजार 876 लोगों को नि:शुल्क दवाएंं दी जा रही हैं। अगर एआरटी केंद्रों में दी गई दवाएंं का किसी संक्रमित मरीज पर कोई असर न हो रहा हो तो उसे सेकेंड लाइन ट्रीटमेंट रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा रक्त संग्रहण के लिए मेडिकल कॉलेज रायपुर को मोबाइल वैन प्रदान की गई है जिसके माध्यम से रक्तदान शिविर में रक्त संग्रहण किया जा रहा है। सचल एकीकृत परामर्श व जांच केंद्र दुर्ग, जगदलपुर व रायगढ़ में संचालित है। इसके माध्यम से दूरस्थ ग्रामीण व जिन स्थानों पर एचआइवी जांच व परामर्श केंद्र नहीं है, उन स्थानों में जाकर एचआइवी की जांच की जा रही है।

विशाखापत्तनम : यहां से मिली खबर के अनुसार, आधुनिक एंटीरेट्रोवाइरल उपचार (एआरटी) ने एचआइवी बीमारी के इलाज की दिशा बदल दी है क्योंकि अगर इस बीमारी का शुरुआती चरण में पता चल जाए और इलाज जल्द शुरू हो जाए तो संक्रमित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है। जानेमाने फिजीशियन डॉ कुटीकुप्पाला सूर्य राव ने मंगलवार को विश्व एड्स दिवस के मौके पर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि एआरटी एचआइवी के यौन, पैरेंटल या वर्टिकल संचार रोकने में अत्यंत प्रभावी है।
राव ने कहा, अगर किसी व्यक्ति के 20 वर्ष की आयु में एचआइवी संक्रमित होने का पता चल जाता है और उसका जल्द इलाज शुरू हो जाता है तो उम्मीद की जाती है वह एक सामान्य जीवन जी सकता है।