कीर्ति चक्र से सम्मानित सीआरपीएफ के जाबांज कमांडेंट चेतन चीता की हालत नाजुक बनी हुई है। उनका इलाज झज्जर के एम्स के आईसीयू में चल रहा है। चेतन चीता को कोविड होने पर 9 मई को एम्स में भर्ती कराया गया है। ऑक्सिजन लेवल गिरने के बाद चीता को वेटिलेंटर पर रखा गया है। एम्स के डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है और सीआरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक उनका हर संभव बेहतर इलाज हो रहा है।
न्यूज 24 पर पूर्व आईजी और रक्षा विशेषज्ञ आफताब अहमद ने एक सवाल पर कहा कि उनका न्यूज बुलेटिन जल्दी जारी किया जाए जिससे लोगों को अपने हीरो के बारे में सही जानकारी मिले। उनका कहना है कि एम्स में उनकी बेहतरीन देखभाल हो सकेगी। इससे पहले एम्स के सौ चिकित्सकों की टीम ने ही उन्हें फिर से जीवन दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एम्स तो एम्स ही है वो चाहे दिल्ली हो या झज्जर। उन्हें यकीन है कि वो जल्दी स्वस्थ होकर आएंगे। रिटायर मेजर जनरल संजय सोई ने कहा कि जब हम बॉर्डर पर होते हैं तो हमारे लिए देश ही महत्वपूर्ण होता है।
रिटायर मेजर जनरल अश्विनी सिवाच ने कहा है कि देश में बड़े-बड़े उद्योगपति हैं, लेकिन सारे लोग चीता के लिए दुआ कर रहे हैं। उनका कहना था कि इसकी वजह ये ही चीता देश के लिए लड़ते हुए जख्मी हुए थे।
अपनी बहादुरी के लिए चेतन चीता तब चर्चा में आये जब 14 फरवरी 2017 को कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकियों से मुठभेड़ में वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। आतंकियों ने गोलियों से उनके शरीर को छलनी कर दिया। उन पर एक साथ 30 गोलियां दागी गईं। उनके शरीर में नौ गोली लगी। बावजूद इसके चीता ने आतंकियों पर 16 राउंड फायर किए औ एक आतंकी को मार गिराया।
मुठभेड़ के दौरान बुरी तरह जख्मी हो गए। हाथ, पैर, कुल्हे और पेट में गोलियां लगीं। सिर और चेहरे पर छर्रे लगे। दाईं आंख को नुकसान भी हुआ। देशभर से दुआएं की गईं। एम्स में 100 डॉक्टरों की टीम की मेहनत रंग लाई और 51 दिनों बाद इस जाबांज ने मौत को पटखनी दी। मौत को हराकर उन्होंने फिर से डयूटी ज्वाइन की तो सारा देश इस जाबांज के जज्बे का कायल हो गया। सब नतमस्तक हो गए। चेतन चीता राजस्थान के कोटा के रहने वाले हैं। पिता रामगोपाल चीता आरएएस अफसर थे। पत्नी उमा व दो बच्चे दिल्ली में रहते हैं।

