चेन्नई के एक इंजीनियर को ‘नासा’ (NASA) ने भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के मलबे को ढूंढने का श्रेय दिया है। अंतरिक में रुचि रखने वाले 33 साल के शनमुगा सुब्रमण्यम ने खुद लूनर रिकनाइसांस ऑर्बिटल कैमरा (LROC) से तस्वीरें डाउनलोड कीं और मलबे की मौजूगी के बारे में नासा को सूचित किया था। इसकी पुष्टि नासा और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी ने सोमवार को कर दिया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 6 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-2 ने प्रक्षेपण के बाद लैंडर विक्रम से संपर्क खो दिया था। नासा ने मंगलवार को एक बयान में कहा है, “शनमुगा ने सबसे पहले मुख्य क्रैश साइट से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में मलबा देखा।” गौरतलब है कि नासा ने 17 सितंबर को ली गई एक मोजेक छवि 26 सितंबर को जारी की और लोगों से छवियों के साथ तुलना करने के लिए उनका सहयोग भी मांगा था। इस दौरान सुब्रमण्यम मलबे का सही लोकेशन बताने वाले पहले शख्स बने। उन्होंने बताया कि नासा द्वारा अपने दम पर लैंडर को खोजने में असमर्थता ने उनकी रुचि बढ़ा दी थी।

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक सुब्रमण्यम ने बताया, “मेरे पास दो लैपटॉप पर उन दो तस्वीरों की तुलना थी, जो एक तरफ थी… एक तरफ पुरानी तस्वीर थी, और दूसरी तरफ नासा द्वारा जारी की गई नई तस्वीर थी।” आगे उन्होंने बताया, “यह काफी कठिन था, लेकिन मैंने कुछ कोशिशें कीं।” हालांकि, आखिरकार उन्होंने 3 अक्टूबर को अपनी खोज की घोषणा ट्विटर पर कर डाली। लेकिन, नासा ने इसकी आधिकारिक घोषणा करने में लगभग दो महीने का समय लिया।

न्यूज चैनल एनडीटीवी के साथ बातचीत में सुब्रमण्यम ने कहा कहा, “मैंने विक्रम लैंडर का संभावित रास्ता ढूंढने में काफी महेनत की। मैं बेहद खुश हूं। काफी मेहनत करनी पड़ी। मुझे हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञान क शौक रहा है। मैंने कभी भी कोई लॉन्च नहीं छोड़ा।” गौरतलब है कि 6 सितंबर को चंद्रयान-2 से लॉन्चिंग के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम का संपर्क इसरो से टूट गया था।