भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हो चुकी है। चंद्रयान-3 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा की यात्रा पर रवाना हो गया है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। अगर इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। ISRO ने अगस्त के अंत में ‘चंद्रयान-3’ की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई गई है। उम्मीद है कि यह मिशन भविष्य के Interplanetary अभियानों के लिए सहायक होगा। चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई टेक्नोलॉजी को विकसित करना और प्रदर्शित करना है।
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चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है। चंद्रयान मिशन के जरिए इसरो चांद पर होने वाली घटनाओं और रसायनों का पता लगाएगा। इस मिशन को 2008 में इसरो द्वारा शुरू किया गया था। इस मिशन के शुरू होने के 312 दिन बाद चंद्रयान से इसरो का संपर्क टूट गया। हालांकि इसरो ने इस मिशन को सफल बताया था। दुनिया के सभी देशों के बीच चांद पर जाने की होड़ लगी हुई है। वैज्ञानिकों ने चांद को प्रारंभिक इतिहास का भंडार बताया है। उनका कहना है कि चांद पृथ्वी से ही टूट कर बना है। मानव गतिविधियों के कारण पृथ्वी से जो रिकॉर्ड मिट गए हैं वो चन्द्रमा पर अभी भी संरक्षित हैं। चांद की खोज से हमें धरती के प्रारंभिक इतिहास को समझने का मौका मिलेगा। पृथ्वी के साथ चन्द्रमा के रिश्ते और सोलर सिस्टम को भी गहराई में समझने का मौका मिलेगा। पढ़ें पूरी खबर
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) यानी इसरो (ISRO) ने मंगलवार 11 जुलाई को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लिए ‘लॉन्च रिहर्सल’ को पूरा किया था। देखें वीडियो
चंद्रयान-3 मिशन के दौरान आखिरी के 15 मिनट काफी महत्वपूर्ण होंगे। 6 सितंबर 2019 को जब चंद्रयान-2 मिशन आखिर चरण में था तो इसकी क्रैश लैंडिंग हुई। 47 दिनों में 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत भी उस फेहरिस्त में शामिल होने वाला था जहां रूस, अमेरिका और चीन पहले से मौजूद हैं लेकिन आखिर के 15 मिनट में यह उम्मीद बिखर गई। पढ़ें पूरी खबर
चंद्रयान 3 मिशन (Chandrayaan 3 Launch Update) लॉन्च के लिए तैयार है। पिछली बार की तरह इस बार चंद्रयान मिशन(chandrayaan mission) में कोई चूक न हो, इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो (ISRO) ने 3 विशेष उपाय किए हैं। ‘विफलता आधारित डिजाइन’ (Failure Based Design) के जरिए सफल चंद्र मिशन के लिए ज्यादा ईधन, कई सुरक्षा उपाय और चंद्रमा पर एक बड़े लैंडिंग स्थल को सुनिश्चित किया गया है। इसरो डायरेक्टर एस. सोमनाथ (S Somnath) ने बताया कि इस बार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों (Space Scientists) ने खास का विकल्प चुना है ताकि कुछ चीजें गलत होने पर भी रोवर चंद्रमा (Moon) पर सफलतापूर्वक उतर सके। देखें वीडियो
प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने कल ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर विजयी भव मैसेज के साथ 500 स्टील के कटोरों से चंद्रयान 3 की 22 फीट लंबी सैंड आर्ट बनाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा चांद मिशन, चंद्रयान-3, 14 जुलाई को लॉन्च होने वाला है।
#WATCH | Renowned sand artist Sudarsan Pattnaik created a 22 ft long sand art of Chandrayaan 3 with the installation of 500 steel bowls with the message "Bijayee Bhava", at Puri beach in Odisha, yesterday.
— ANI (@ANI) July 13, 2023
The Indian Space Research Organisation's third lunar exploration mission,… pic.twitter.com/Gr4SNEZDEy
चंद्रयान 3 मिशन के तहत भारत इस बार चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब लैंडिंग की कोशिश करने वाला है। ये चांद का वो इलाका है जहां पर सूर्य की किरणे नहीं पड़ती हैं और तापमान -230 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
चंद्रयान-3 का काउंटडाउन शुरू, पढ़ें पूरी खबर
चांद फतह करने को तैयार भारत, देखें वीडियो- https://www.youtube.com/watch?v=QQuHXiB5bFg