Chandrayaan 3 Update: भारत के लिए आज का दिन एतिहासिक होने वाला है। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंड करने की कोशिश करेगा। पूरे विश्व की निगाहें आज चंद्रयान-3 पर टिकी हुई हैं। देश के लोग चंद्रयान-3 की सफलता के लिए पूजा अर्चना कर रहे है। इसी बीच इसरो ने भारत को एक और बड़ी खबर दी है। विक्रम लैंडर के सभी पैरामीटर की लगातार जांच की जा रही है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लैंडिंग से जुड़े कमांड लोड कर दिए गए हैं। दोपहर में इन कमांड को लॉक कर दिया जाएगा। अभी चंद्रयान-3 चन्द्रमा की सतह से 30.5 किमी की दूरी पर चन्द्रमा का चक्कर काट रहा है।
प्रज्ञान चांद पर छोड़ेगा भारत का निशान
चंद्रयान-3 के रोवर में लगी सोलर प्लेट प्रज्ञान को चांद की सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा देगा। इतना ही नहीं प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा पर भारत के निशान छोड़ेगा। रोवर में कुल 6 पहिये हैं जिनमें से आखिरी 2 पहियों में इसरो और देश का राष्ट्रीय चिन्ह अंकित किया गया है। रोवर चलते वक्त चांद की सतह पर देश का निशान छोड़ेगा। प्रज्ञान रोवर में लगा आधुनिक सेंसर चन्द्रमा की सतह से भोगौलिक और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी इकठ्ठा कर इसरो को भेजेगा।
प्रज्ञान रोवर का वजन महज 26 किलो है। विक्रम लैंडर के सफल लैंडिंग के बाद ही प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा की सतह पर उतरेगा। यह विक्रम लैंडर के अंदर से एक रैंप की मदद से निकलेगा। प्रज्ञान रोवर का मुख्य काम है कि चन्द्रमा पर की गई खोज को धरती तक भेजना। प्रज्ञान का आकार रेक्टेंगुलर है।
प्रज्ञान से जुड़ी अहम बातें
प्रज्ञान रोवर का डायमेंशन 0.9 x 0.75 x 0.85 मीटर है। वहीं सोलर पावर की मदद से इसको चार्ज किया जाएगा। इसमें 50 वाट का पावर है। प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा की सतह पर 1 सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से यात्रा कर सकता है। वहीं प्रज्ञान रोवर पृथ्वी के अनुसार 14 दिन तक खोज करता रहेगा।
लैंडिंग के लिए 23 अगस्त का दिन की क्यों चुना?
भारत का तीसरा लूनर मिशन चंद्रयान-3 बुधवार 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा। बता दें कि पृथ्वी की तरह चांद पर एक दिन 24 घंटे का नहीं होता है। बल्कि चन्द्रमा का एक दिन 708.7 घंटे का होता है। चांद का एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है। पृथ्वी के 14 दिन के बराबर चांद का एक दिन (सूर्योदय से सूर्यास्त) होता है। वहीं पृथ्वी के 14 दिन के ही बराबर एक रात होती है।
4 फेज में होगी लैंडिंग
चंद्रयान-3 का लैंडिंग का प्रोसेस 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर चार चरणों में शुरू किया जाएगा। इसमें रफ ब्रेकिंग फेज, एल्टीट्यूड होल्ड फेज, फाइन ब्रेकिंग फेज और टर्मिनल डिसेंट फेज शामिल है। लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट को सफल बनाने के लिए देश के लोग पूजा-अर्चना कर रहे है। लैंडिंग का आखिरी 15 मिनट इसरो के वैज्ञानिको के अलावा देशवासियों के लिए भी रोमांच से भर देने वाला है। लैंडिंग के पहले चरण में रफ ब्रेकिंग कर चंद्रयान-3 की स्पीड कम की जाएगी। यह चरण लगभग 690 सेकंड का होगा। उस वक्त चंद्रयान-3 की गति लगभग 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी जो रफ ब्रेकिंग के बाद घटकर 358 मीटर प्रति सेकंड तक हो जाएगा। विक्रम लैंडर का स्पीड कम करने के लिए 400 न्यूटन के 4 इंजन फायर किए जाएंगे। चंद्रयान 690 सेकेंड में लगभग 745 किमी दूर पहुंच जाएगा। जहां उसकी ऊंचाई चांद की सतह से केवल 7.4 किमी रह जाएगी।
चंद्रयान-3 इसके बाद दूसरे चरण में चला जाएगा जिसे एल्टीट्यूड होल्डिंग फेज कहा जाता है। इस फेज की शुरुआत में चंद्रयान-3 चन्द्रमा की सतह से महज 7.4 किमी की ऊंचाई पर होगी। इस चरण में 10 सेकंड में विक्रम लैंडर की चांद से ऊंचाई घटकर 6.8 किमी ही रह जाएगी। इस दौरान गति 336 मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी। इस चरण में 740 न्यूटन के बराबर 4 इंजन फायर किए जाएंगे।
तीसरा चरण फाइनल ब्रेकिंग फेज है। इस चरण में चंद्रयान 6.8 किमी की ऊंचाई से यात्रा शुरू करेगा और चन्द्रमा की सतह से लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। इस फेज को पूरा होने में लगभग 175 सेकंड का समय लगेगा। इस ऊंचाई पर चंद्रयान की स्पीड शून्य हो जाएगी और विक्रम लैंडर चन्द्रमा के वातावरण में थोड़ी देर तक मंडराएगा। यह सबसे महत्वपूर्ण चरण होगा। इसी चरण के दौरान लैंडर में लगा सेंसर चांद की सतह पर लेजर किरणों की मदद से लैंडिंग स्थल को खोजेगा। इसके बाद चंद्रयान-3 चन्द्रमा की सतह से महज 150 मीटर की ऊंचाई पर रहेगा।