ISRO के चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की। इसके साथ ही भारत चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला और चंद्र सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। लैंडिंग के अगले दिन चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ा ताजा अपडेट देते हुए इसरो के सूत्रों ने कहा कि रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से अलग हो गया है।
इसरो ने X (ट्विटर) पर जानकारी देते हुए लिखा, “CH-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की। अधिक अपडेट जल्द ही।”
विक्रम से बाहर निकलते रोवर प्रज्ञान की पहली तस्वीर INSPACe के अध्यक्ष पवन के गोयनका ने शेयर की है। अंतरिक्ष विभाग (DOS)। एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन) के मिशन लाइफ वाले लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए साइंटिफिक पेलोड हैं।
चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत
चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई और 14 जुलाई को इसे प्रक्षेपण यान ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM-3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। लैंडर और छह पहियों वाले रोवर (वजन 1752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। लैंडर में सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे।
रोवर इस दौरान चांद की सतह पर घूमकर वहां मौजूद रसायन का विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर के पास वैज्ञानिक पेलोड हें जो चांद की सतह पर प्रयोग करेंगे। रोवर अपने पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए चंद्रमा की सतर का अध्ययन करेगा ताकि रासायनिक संरचना की जानकारी प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान को और बढ़ाने के लिएपर खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके। ‘प्रज्ञान’ में भी एक पेलोड – ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ है जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा।
भारत चांद पर
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भविष्य के और अधिक चुनौतीपूर्ण अभियानों को पूरा करने का आत्मविश्वास देती है। उन्होंने मिशन की सफलता के कुछ मिनट बाद कहा था कि हमने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल कर ली है। भारत चांद पर है। सोमनाथ ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए नेतृत्व की एक पीढ़ी और अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों के योगदान को स्वीकार किया और कहा कि यह उपलब्धि प्रोत्साहित करने वाली और बहुत बड़ी सफलता है।