Chandrayaan-2 Vikram Lander: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कुछ विद्वानों और एजेंसी के विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय स्तर की समिति चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने से पहले उससे संपर्क टूट जाने के कारणों का अध्ययन कर रही है। इसरो ने यह भी कहा कि भारत के दूसरे चंद्र मिशन का ऑर्बिटर निर्धारित वैज्ञानिक प्रयोगों को संतोषजनक तरीके से अंजाम दे रहा है और इसके सभी पेलोड का कामकाज संतोषप्रद है।

एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, ‘‘ऑर्बिटर के सभी पेलोड चल रहे हैं। इसके शुरूआती परीक्षण पूरी तरह सफल रहे हैं। सभी पेलोड का प्रदर्शन संतोषजनक है।’’ इसरो ने कहा, ‘‘शिक्षाविदों और इसरो विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की समिति लैंडर से संपर्क टूटने के कारणों का अध्ययन कर रही है।’’

बीते सात सितंबर को चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, पर अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया। तभी से लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन कोई सफलता मिलती नहीं दिख रही। इसरो ने आठ सितंबर को कहा था कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे से चंद्रमा की सतह पर लैंडर देखा गया है। विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी।

Live Blog

22:36 (IST)19 Sep 2019
NASA का ऑर्बिटर 'विक्रम' के ऊपर से गुजारा गया

इसी बीच, नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर को मंगलवार को विक्रम लैंडर के लैंडिंग साइट के ऊपर से गुजारा गया। रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर कैमरा ने लैंडिंग साइट के आसपास की छवियों को कैद किया, मगर लैंडर का सही स्थान का पता नहीं चल पाया।

21:25 (IST)19 Sep 2019
'विक्रम' से संर्पक होने की कम होती जा रहीं उम्मीदें

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक 'चंद्रयान-2' के लापता लैंडर 'विक्रम' से संपर्क साधने में लगे हुए हैं। विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद धीरे-धीरे कम होती जा रहीं हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि चंद्रमा में अब रात हो रही है। जैसे-जैसे वहां अंधेरा होता जाएगा विक्रम से संपर्क करना और भी मुश्किल हो जाएगा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी विक्रम से संपर्क करने में लगा है लेकिन नासा का ऑर्बिटर भी विक्रम की तस्वीर लेने में विफल रहा है। नासा का कहना है कि हो सकता है विक्रम ऑर्टिबर के कैमरे के पहुंच से बाहर हो।

18:55 (IST)19 Sep 2019
चंद्रयान-2 का क्या है मकसद?

चंद्रयान-2 का मकसद चांद के अनसुलझे रहस्य खोलना है। चांद पर कौन सी चीजें हैं और किस अवस्था में हैं? यह पता लगाना है। साथ ही यह एक तरह से चंद्रयान-1 का विस्तार है।

17:30 (IST)19 Sep 2019
विश्लेषण को ऐसे साबित किया

नासा के एक प्रवक्ता ने इससे पहले कहा था कि इसरो के विश्लेषण को साबित करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर के लक्षित इलाके की पहले और बाद में ली गई तस्वीरों को साझा करेगी।

17:23 (IST)19 Sep 2019
तस्वीरों का विश्लेषण करेगी

सीनेट डॉट कॉम ने एक बयान में कैली के हवाले से कहा, ‘‘एलआरओसी टीम इन नयी तस्वीरों का विश्लेषण करेगी और पूर्व की तस्वीरों से उनकी तुलना कर यह देखेगी कि क्या लैंडर नजर आ रहा है (यह छाया में या तस्वीर में कैद इलाके के बाहर हो सकता है)।’’

17:05 (IST)19 Sep 2019
ऑर्बिटर के कैमरे ने तस्वीरें ली

नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास , वहां से गुजरने के दौरान कई तस्वीरें ली जहां से विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था। एलआरओ के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने नासा का बयान साझा किया जिसमें इस बात की पुष्टि की गई कि ऑर्बिटर के कैमरे ने तस्वीरें ली हैं।

16:49 (IST)19 Sep 2019
विश्लेषण, प्रमाणन एवं समीक्षा कर रहा है नासा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने चंद्रमा ऑर्बिटर द्वारा चांद के उस हिस्से की खींची गई तस्वीरों का विश्लेषण, प्रमाणन एवं समीक्षा कर रहा है जहां भारत के चंद्रयान-2 मिशन ने अपने विक्रम मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया था। एजेंसी के एक प्रोजेक्ट साइंटिस्ट के हवाले से मीडिया ने यह खबर दी है।

16:18 (IST)19 Sep 2019
क्या हुआ था लैंडिंग के दौरान

सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के कुछ ही मिनट पहले इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। इसरो ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे साथ खड़े रहने के लिये आपका शुक्रिया। हम दुनियाभर में सभी भारतीयों की आशाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे।’’इसरो ने कहा, ‘‘हमें प्रेरित करने के लिये शुक्रिया।’’

15:43 (IST)19 Sep 2019
गगनयान में यह मदद करेगा

उधर, इसरो और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ‘गगनयान’ परियोजना के लिए मानव केंद्रित प्रणालियां विकसित करने के लिहाज से सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। रक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि डीआरडीओ द्वारा इसरो को मुहैया कराई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में अंतरिक्ष में भोजन संबंधी तकनीक, अंतरिक्ष जाने वाले दल की सेहत पर निगरानी, सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण, पैराशूट आदि शामिल हैं।

14:28 (IST)19 Sep 2019
टूट रहीं हैं उम्मीदें

‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से पुन: संपर्क करने और इसके भीतर बंद रोवर ‘प्रज्ञान’ को बाहर निकालकर चांद की सतह पर चलाने की संभावनाएं हर गुजरते दिन के साथ क्षीण होती जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि गत सात सितंबर को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की प्रक्रिया के दौरान अंतिम क्षणों में ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। यदि यह ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहता तो इसके भीतर से रोवर बाहर निकलता और चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देता।

14:01 (IST)19 Sep 2019
सभी पहलुओं की जांच करेगा इसरो

सेवानिवृत्त अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "इसरो को प्राप्त डेटा से सभी पहलुओं की जांच करनी होगी। उन्हें इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि ऐसा क्या हुआ था जो नहीं किया गया और उसके बिना ही परिणाम की कल्पना कर ली गई।"

13:27 (IST)19 Sep 2019
असफल होने के कारणों की जांच

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) विक्रम लैंडर के असफल होने के कारणों की जांच करेगा। स्पेस एजेंसी इस बात का पता लगाने का प्रयत्न करेगी कि ऐसा क्या गलत हुआ और क्या ऐसा मान लिया गया था कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर वहां उतर नहीं सका।

12:35 (IST)19 Sep 2019
क्यों अहम है चंद्रमा

चंद्रमा के अनसुलझे रहस्य समझना मानव जाति के लिए बेहद अहम है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रमा कैसे बना और विकसित हुआ? यह जानने पर हम पूरे सोरल सिस्टम के बारे में बेहतरी से समझ सकेंगे, जिसमें पृथ्वी भी शामिल है।

12:10 (IST)19 Sep 2019
रिपोर्ट जारी करेगा इसरो

सूत्रों के अनुसार, इसरो की एक आंतरिक कमेटी विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में असफलता के मुद्दे पर जल्द ही एक रिपोर्ट भी जारी करेगी। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट लगभग बनकर तैयार है और जल्द ही इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। देश के दूसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान 2’ के लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बावजूद भी भारतीय वैज्ञानिकों का हौसला टूटा नहीं है, और अभी भी संपर्क की कोशिश की जा रही है।