Chandrayaan-2 Moon Landing Date and Time in India: चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर की ल्यूनर सरफेस पर सॉफ्ट लैंडिंग शनिवार (सात सितंबर, 2019) देर रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच हो सकती है। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच रोवर रोल आउट होगा, जबकि आगे सुबह आठ से नौ बजे के दरम्यान भारत सरकार की स्पेस एजेंसी Indian Space Research Organisation (ISRO) के चीफ के.सिवन की प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रस्तावित है।

बता दें कि इसरो का चंद्रयान-2 मिशन चांद के अनसुलझे रहस्य खोलेगा। चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़ चंद्रमा की तरफ 14 अगस्त को अपनी यात्रा शुरू की थी, जिसके बाद 20 अगस्त को वह चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। यह सॉफ्ट लैंडिंग बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहेगा, जिसे लेकर न केवल इसरो बल्कि देशवासियों के मन में तमाम तरह के भाव उमड़ रहे हैं। वे सभी चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने की प्रार्थना कर रहे हैं।

कर्नाटक में बेंगलुरू स्थित इसरो मुख्यालय में अधिकारी ‘विक्रम’ मॉड्यूल के शुक्रवार (छह सितंबर) आधी रात के बाद या शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह पर उतरने को लेकर पूरी तरह आशान्वित हैं। मिशन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से ताजा मामले पर कहा, “सब मौन साधे हैं। मैं भी चुप हूं। अब मिशन पूरा हो जाए, बस। हर एक के मन में बस यही बात आ रही है कि अंतरिक्षयान और लैंडर विक्रम में क्या चल रहा होगा। आइए, सभी चंद्रयान की सफल सॉफ्ट-लैंडिंग की प्रार्थना करें।”

वहीं, इसरो चीफ के.सिवन ने हाल ही में कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी ने मिशन की सफलता के लिए मानवीय तरीके से जो भी संभव है, वह सबकुछ किया है। टॉप स्पेस साइंटिस्ट्स ने भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कामयाबी पर पूरा विश्वास जताया है। करीब एक दशक से पहले चंद्रयान-1 मिशन की कमान संभालने वाले इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने एजेंसी से कहा, “यह यादगार घटनाक्रम बनने जा रहा है और हम सभी इसे लेकर आशान्वित हैं। मुझे विश्वास है कि यह शत प्रतिशत सफल होगा।”

चंद्रयान-2 विश्व के लिए मील का पत्थर- पूर्व NASA एस्ट्रोनॉटः इसी बीच, पूर्व नासा एस्ट्रोनॉट जेरी एम लिनेनगर ने गुरुवार को चंद्रयान-2 को न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा- चंद्रमा के दक्षिणी पोल में जाना कमाल की बात होगी। यही वजह है कि इस मिशन से पूरी दुनिया को फायदा होगा। यह न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए मील का पत्थर रहेगा।