Chandrayaan 2: भारत के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-2 के विक्र लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग भले ही सफल न रही हो लेकिन आर्बिटर ने चांद पर सोडियम, कैल्शियम, अल्म्यूनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम, और आयरन ढूंढ निकाले हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह अहम जानकारी दी। इसरो ने कहा कि आर्बिटर में मौजूद 8 पेलोड ने तत्वों को लेकर कई सूचनाएं भेजी हैं। आर्बिटर के “जियोटेल” या पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के भाग से गुजरते समय आवेशित कणों के असमान घनत्व का पता चला है। मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी के आस-पास अंतरिक्ष में एक क्षेत्र है जहां पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सूर्य द्वारा जारी चार्ज कणों को प्रभावित करता है।

इसरो ने ट्वीट किया ‘हर 29 दिन पर चंद्रमा करीब 6 दिनों के लिए जियोटेल से गुजरता है। चूंकि चंद्रयान 2 चंद्रमा की कक्षा में है इसलिए इसे भी यह मौका हासिल हुआ और इस दौरान इसमें लगे उपकरणों ने जियोटेल के गुणों का अध्‍ययन किया। इस दौरान ऑर्बिटर को कई तत्वों की अहम जानकारियां हासिल हुई हैं।आर्बिटर के विशेष उपकरण ‘क्लास’ (चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) ने इसमें अहम भूमिका निभाई।’

इसरो ने जानकारी दी कि पेलोड अपना काम बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं और चंद्रमा की सतह पर मौजूद चार्ज पार्टिकल्स का पता लगा रहे हैं। यह ऐसे समय में हुआ जब सूर्य किसी अन्य समय के मुकाबले बेहद शांत अवस्था में था। वहीं भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बंगलूरू में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर निरुपम रॉय ने कहा मैग्नेटोस्फीयर से गुजरते समय, पेलोड ने आवेशित कणों में तीव्रता भिन्नता का पता लगाया। यह अपेक्षित है क्योंकि सौर हवा इन कणों को असमान रूप से छोड़ती है और यह चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होती है।

हाल ही में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने दावा किया है कि इसरो के लैंडर विक्रम की चंद्रमा का दक्षिण ध्रुव पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। नासा की तरफ से विक्रम ने जहां लैंड किया था वहां की दो तस्वीरें जारी की गई हैं। नासा की तरफ से बृहस्पतिवार को चंद्रमा के सतह की तस्वीरें जारी की गईं।

गौरतलब है कि अगर विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग हुई होती तो इसरो को कई अहम जानकारियां हासिल हो सकती थीं। मसलन चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी के बारे में पुख्ता जानकारी हासिल करना। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्या-क्या तत्व मौजूद हैं और मानव जीवन के लिए क्या महत्व हो सकता है। बहरहाल चंद्रयान के ऑर्बिटर से भी इसरो को कई जानकारियां हासिल हो रही है जो चांद की अन्य बारीकियों को जानने में मदद करेंगी।