मंगलवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जो ड्रामा सामने आया, उसके केंद्र में पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) अनिल मसीह (Anil Masih) थे। दूसरे पक्ष के दलों के 8 वोटों को मसीह के अवैध घोषित कर दिए जाने से बीजेपी के मनोज सोनकर ने करीबी चुनाव जीत लिया। इससे आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) ब्लॉक की साझीदार के तौर पर मैदान में उतरीं आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने उन पर नतीजों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया।
18 जनवरी को चुनाव होने से पहले अचानक बीमार पड़ गए थे
इससे पहले 18 जनवरी को, जब चुनाव होने थे, मसीह अचानक बीमार पड़ गए थे। इसके कारण चुनाव 30 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया था। नगरपालिका सचिव गुरिंदर सोढ़ी ने भी 18 जनवरी के चुनाव से दो दिन पहले कथित तौर पर पीठ दर्द की वजह से छुट्टी ले ली थी।
कांग्रेस और AAP ने लगाया है मतपत्रों से छेड़छाड़ का आरोप
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मसीह पर मतपत्रों पर कुछ लिखकर उन्हें अमान्य करने का आरोप लगाया है। मसीह 2018 में बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी की अल्पसंख्यक शाखा के सक्रिय सदस्य हैं। वह मौजूदा समय में चंडीगढ़ नगर निगम के सामान्य सदन में नौ नामांकित पार्षदों (उनके पास मतदान का अधिकार नहीं है) में से हैं। उन्हें 2022 में सदन में अल्पसंख्यकों के मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक चेहरे के रूप में नामित किया गया था।
बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि मसीह, जो पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अरुण सूद के करीबी थे, दिसंबर 2021 में चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों के दौरान वार्ड नंबर 13 से बीजेपी के टिकट के दावेदारों में से एक थे। हालांकि लगभग एक साल बाद मसीह को 2022 में नामांकित पार्षद के रूप में चुना गया था।
मनोनीत पार्षद बनने के बाद मसीह को चंडीगढ़ निगम के सामान्य सदन में उठाए गए मुद्दों में उत्सुकता से भाग लेने के लिए प्रतिष्ठा मिली। सदन के एक सदस्य ने कहा, कार्यवाही के दौरान मसीह का ज्यादातर बीजेपी पार्षदों को “मुखर” और “खुला” समर्थन था।
हाल ही में 10 जनवरी को मसीह को AAP पार्षद लखबीर सिंह के बीजेपी में शामिल होने के दौरान मंच साझा करते देखा गया था। इस पर भी विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लकी ने मसीह को “बीजेपी के लिए मसीहा” कहा और सवाल किया कि जब वह बीजेपी के सक्रिय सदस्य हैं तो क्या वह चुनाव की अध्यक्षता करने के लिए उपयुक्त थे।
“जब कोई कट्टर बीजेपी सदस्य होता है तो क्या आपको लगता है कि वह अपने उम्मीदवार को हारने देगा? उन्होंने चुनाव में धांधली की। यदि आप देखें कि वह कैसा व्यवहार कर रहा है, तो आप पाएंगे कि जीत पूरी तरह से सुनियोजित थी। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए चंडीगढ़ के पूर्व मेयर अरुण सूद ने कहा कि मसीह की पार्टी संबद्धता का पीठासीन अधिकारी के रूप में उनकी भूमिका से कोई लेना-देना नहीं है। सूद ने कहा, “राज्यपालों और अन्य पदों पर ऐसे लोग हैं जो किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं। इससे कुछ भी नहीं बदलता।”