आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी के बोर्ड ने भी उनके इस्तीफे को मंजूर कर लिया है। उन्होंने करीब 34 साल तक आईसीआईसीआई बैंक में बतौर ट्रेनी से लेकर सीईओ तक की जिम्मेदारी संभाली। 1984 में उन्होंने बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी बैंक में करियर की शुरुआत की थी। 25 साल बाद वो बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाई गईं। साल 2009 में जब वो सीईओ बनीं तब उनकी उम्र 48 साल थी। कोचर सबसे कम उम्र में सीईओ बनने वाली शख्सियत थीं, लेकिन वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए एक लोन के विवाद ने उनके करियर पर बड़ा धब्बा लगा दिया। गुरुवार (चार अक्टूबर) को जब बोर्ड ने उनका इस्तीफा मंजूर किया तब निवेशकों ने भी इसका स्वागत किया। नतीजतन कंपनी के शेयर में पांच फीसदी का उछाल दर्ज किया गया।
कोचर को सात साल पहले साल 2001 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह आईसीआईसीआई बैंक में अपने चार सी को लेकर प्रभावशाली रहीं। उनका फोकस कॉस्ट, क्रेडिट, करेंट एंड सेविंग अकाउंट और कैपिटल पर होता था। वो इसी के सहारे क्राइसिस स्ट्रैटजी बनाती थीं। उनके इस फार्मूले से बैंक ने बड़ी तेजी से विकास किया था। बैंक का रिटेल बिजनेस बढ़ाने में भी चंदा कोचर ने बड़ी भूमिका निभाई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनको समय का पाबंद बताया जाता था। वो ठीक छह बजे दफ्तर से घर को निकल जाती थीं और फैमिली को समय देती थीं। उन्होंने अपने करियर और परिवार में अच्छा संतुलन बिठाया था।
बता दें कि चंदा कोचर और उनके परिवार पर लोन आवंटन में कथित तौर पर अनियमितता के आरोप लगे हैं, जिसकी जांच कई एजेंसियां कर रही हैं। चंदा कोचर पर हितों के टकराव और फायदा के बदले फायदा पहुंचाने के आरोप की भी जांच चल रही है। आरोप है कि चंदा कोचर ने वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ का लोन दिलाया था। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, दिसंबर 2008 में वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर एक कंपनी खड़ी की थी। उस वक्त कंपनी के लिए 64 करोड़ का लोन पास हुआ था। बाद में मात्र नौ लाख में यह कंपनी दीपक कोचर के ट्रस्ट को दे दी गई। आरोप लगा कि इसके बदले कोचर परिवार ने नियमों की अनदेखी कर वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिलाया।
