झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आरोप लगाया है कि उन्हें रविवार सुबह से ही घर में नजरबंद कर दिया गया जबकि उन्हें आदिवासी समूहों के द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में शामिल होना था। सोरेन ने कहा कि यह आदिवासी/मूलनिवासी किसानों की आवाज को उठाने से रोकने की साजिश है।
पत्रकारों से बातचीत में सोरेन ने कहा कि पूरे झारखंड से बड़ी संख्या में लोग ‘हल चलाओ रोपा रोपो’ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते से ही उठा लिया और प्रदर्शन में शामिल नहीं होने दिया।
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क्या था विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम?
पूरे झारखंड से कई नेता आदिवासी संगठनों के साथ मिलकर रांची के नगड़ी में सरकार के द्वारा प्रस्तावित RIMS-2 के खिलाफ विरोध दर्ज करने के लिए एकजुट होने वाले थे। विरोध करने वालों का कहना है कि अस्पताल के लिए जिस जमीन का चयन किया गया है, वह आदिवासियों की है और इसका इस्तेमाल खेती के लिए किया जाता है। केंद्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा है कि यह जमीन स्थानीय लोगों की नहीं है और इससे उनके हितों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने की है योजना
फरीदाबाद के अमृत अस्पताल की तर्ज पर 2600 बेड वाला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने की योजना है। इसमें तमाम सुविधाओं के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज, रिसर्च सेंटर और टेली मेडिसिन यूनिट्स भी बनाई जानी हैं। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने इस प्रोजेक्ट के लिए धन दिया है और राज्य सरकार भी इस पर आगे बढ़ना चाहती है।
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लोकतंत्र की हत्या- बाबूलाल मरांडी
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने चंपई सोरेन को नजरबंद किए जाने को लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम है कि वह जनता के साथ खड़ा हो और उनके हक की रक्षा करे। उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार से कहा कि आदिवासियों की एक इंच जमीन भी लूटने नहीं देंगे और बीजेपी हर हाल में आदिवासी समुदाय के अधिकार और उनकी जमीन की रक्षा करेगी।
नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि प्रशासन उनकी एकता को तोड़ना चाहता है लेकिन लोग एकजुट हैं और आदिवासियों की जमीन के लिए यह ‘करो या मरो’ का संघर्ष है। पुलिस के एक सीनियर अफसर का कहना है कि यह कार्रवाई किसी भी अप्रिय घटना को रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए की गई थी।