अपने औपचारिक सबमिशन में सीबीआई के अपदस्थ डायरेक्टर आलोक कुमार वर्मा ने जस्टिस एके पटनायक को बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के केवी चौधरी 6 अक्टूबर को उनके आवास पर सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के लिए पैरोकारी करने के लिए आए थे। यह 23 दिन पहले हुआ जब आलोक वर्मा को 23-34 अक्टूबर की आधी रात एक आदेश के जरिए छुट्टी पर भेज दिया गया। यहां जानना चाहिए कि एके पटनायक सीवीसी द्वारा की जा रही जांच का निरीक्षण करने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। बैठक का वर्णन करते हुए आलोक वर्मा ने अपने सबमिशन में बताया कि चौधरी ने अस्थान की एनुअल परफॉर्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट के संबंध में बात की। यह रिपोर्ट आलोक वर्मा द्वारा साइन की गई थी। बातचीत का दौर एक घंटे से भी अधिक समय तक चला।

सबमिशन में हालांकि चौधरी और उनके दो साथी आयुक्त, टीएम भसिन और शरद कुमार का जिक्र किया गया। मगर इसमें सीवीसी द्वारा 12 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई 53 पन्नों की रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं किया गया। इस रिपोर्ट के आधार की वजह से आलोक वर्मा दस जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाली चयन समिति द्वारा दूसरी बार सीबीआई प्रमुख के पद से हटे। बता दें कि शुक्रवार (11 जनवरी, 2019) को इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में जस्टिस पटनायक ने कहा कि वह सीवीसी के निष्कर्षों में किसी भी तरह से जुड़े नहीं हैं।

वहीं संडे एक्सप्रेस को मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि आलोक वर्मा ने जस्टिस पटनायक को बताया कि 6 अक्टूबर को शनिवार के दिन चौधरी उनके आवास पर आए। उन्होंने अस्थाना की एप्रेजल रिपोर्ट पर वर्मा की टिप्पणी के संबंध में बातचीत की। इस रिपोर्ट में उन्हीं के साइन थे, जो उन्होंने जुलाई, 2018 में किए।

दस्तावेजों से पता चलता है कि आलोक वर्मा ने अपने सबमिशन में बताया, ‘शायद यह स्पेशल डायरेक्टर के बारे में विशेष कारणों में से है जब चीफ विजिलेंस कमिश्नर, सुपरिटेंडेंट के बजाय पैरोकारी के लिए एक सहयोगी के साथ मेरे आधिकारिक निवास पर आए। 6 अक्टूबर, 2018 का दिन था। समय सुबह के 11-11:30 के बीच का था और एक घंटे से भी अधिक समय बिताया। आपने कहा, ‘मैं यहां खुद से इसलिए आया हूं कि इस मुद्दे पर क्या हल निकाला जा सकता है।’