पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपना 2, कृष्णा मेनन मार्ग स्थित सरकारी बंगला खाली कर दिया है। बड़े सरकारी बंगलों में से एक होने के बावजूद मोदी सरकार के मंत्री इस बंगले में रहने से कतरा रहे हैं। इसके पीछे जो वजह दी जा रही है वह सुनने में बड़ी अजीब लगेगी। इस बंगले में वास्तु दोष बताया जा रहा है।
मंत्रियों का कहना है कि इस बंगले में आने के बाद से अरुण जेटली को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां सामने आने लगीं। इससे पहले अरुण जेटली साउथ दिल्ली के कैलाश कॉलोनी स्थित अपने निजी आवास में रहते थे। जेटली से पहले इस बंगले में कांग्रेस नेता और पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम भी रह चुके हैं।
सुखराम भी टेलीकॉम घोटाले में फंसे थे। उनके बाथरूम से करेंसी नोट भी बरामद हुए थे। समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुलायम सिंह यादव भी इस बंगले में रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि इस बंगले में रहने के दौरान ही उन्हें स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। एक वरिष्ठ सांसद ने इस संबंध में आंध्र प्रदेश के कांग्रेस के नेता रहे किशोर चंद्र देव को याद किया।
देव का राजनीतिक कैरियर बहुत शानदार और लंबा रहा। वे भी किसी भी सरकारी आवास में रहने से पहले वहां के वास्तु के बारे में पूरी तरह से जांच-पड़ताल करते थे। जब वह युवा थे तो उनके पिता को गैरेज के दरवाजे से चोट लग गई। इससे उन्हें टेटनेस हो गया। इसके बाद उनके पिता की मौत हो गई। उसके अगले दिन ही मद्रास प्रेसिडेंसी में मंत्री बनाने का समाचार मिला। देव इस बात से पूरी तरह से आश्वस्त थे कि गैरेज के वास्तु दोष के कारण ही उनके पिता की असमय मौत हो गई।
सुषमा के बंगले में भी कोई जाने को तैयार नहींः इससे पहले भोपाल से खबर आई थी कि सुषमा स्वराज को सी-7 सिविल लाइंस स्थित आवंटित सरकारी बंगले में कथित रूप से ‘वास्तु दोष’ के कारण कोई भी राजनेता उसमें जाने को तैयार नहीं है। पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस बंगले पर नजर थी।
हालांकि, बाद में चौहान ने दिल्ली से वास्तु विशेषज्ञ को बुलाकर इसकी जांच कराई और फिर इसमें शिफ्ट नहीं किया। इसके बाद यह बंगला राज्य के वित्त मंत्री तरुण भनोट को आवंटित हुआ। उन्होंने भी इसी कारण से बंगले में शिफ्ट करने से इनकार कर दिया।
(जनसत्ता ऑनलाइन इनपुट के साथ)

