अंतर-विवाह को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह विवाह पर अंकुश लगाने को केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी कानून का प्रस्ताव नहीं करना चाहती, लेकिन संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को तैयार किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह बात मंगलवार को लोकसभा में कही।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि सीएए-19 को 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था। 20 जनवरी, 2020 से यह अमल में आया। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, संशोधित नागरिकता कानून-2019 के तहत नियमों तैयार किया जा रहा है। लोकसभा एवं राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों के लिए अवधि भी बढ़ाकर क्रमश: नौ अप्रैल और नौ जुलाई कर दी गई है ताकि सीएए के तहत नियमों को तैयार किया जा सके।
सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। इस कानून के तहत इन समुदायों के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी जो इन तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए थे।
गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। शाहीन बाग का धरना सारे देश में चर्चा का विषय बना था। कई राज्यों ने सरकार के इस कानून को अपने यहां लागू करने से मना कर दिया था। हालांकि कोरोना के खौफ के चलते यह मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया था। तब कोरोना की वजह से शाहीन बाग का धरना भी खत्म करना पड़ा था।
Ministry of Home Affairs' (MHA) reply to a question in Lok Sabha states that the Central Government does not intend to propose a central Anti-Conversion Law to curb interfaith marriages.
— ANI (@ANI) February 2, 2021
हालांकि फिलहाल सीएए को लेकर देश में कोई सुगबुगाहट नहीं है, लेकिन केंद्र के इस वक्तव्य के बाद सरगर्मी फिर से हो सकती है। बंगाल चुनाव सिर पर है और वहां की टीएमसी सरकार इसका पुरजोर विरोध कर रही है। मुस्लिम समुदाय के लोग भी कोरोना संकट के बाद से इस मसले पर उतने मुखर नहीं दिख रहे हैं।