मणिपुर ट्राइबर फोरम ने सुप्रीम कोर्ट में IA लगाकर अपनी व्यथा बयां की है। फोरम का कहना है कि केंद्र ने हिंसा रोकने का जो आश्वासन शीर्ष अदालत को दिया था वो कोरा झूठ था। बीजेपी समर्थित कम्युनल संगठन कुकी जनजाति पर लगातार हमले कर रहे हैं। पिछली सुनवाई के बाद से अब तक 81 लोग मारे जा चुके हैं जबकि 31,410 लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ा है। साजिश में मणिपुर के सीएम भी शामिल हैं।

फोरम ने शीर्ष न्यायालय से अनुरोध किया कि वह केंद्र के खोखले आश्वासन पर भरोसा नहीं करे। उसने अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों की सेना द्वारा सुरक्षा किए जाने का आग्रह किया। अदालत ने पिछली बार 17 मई को ही इस मामले की सुनवाई की थी। अर्जी में कहा गया है कि अभी दो सशस्त्र साम्प्रदायिक समूह आदिवासियों पर सुनियोजित तरीके से हमले कर रहे हैं। दोनों का संबंध राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी से है।

प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को दो दो करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने का अनुरोध

एनजीओ ने असम पुलिस के पूर्व प्रमुख हरेकृष्ण डेका की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम गठित करने और प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को दो दो करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने का अनुरोध किया है। संगठन ने मारे गये लोगों के परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है।

अदालत ने कहा था- सरकारी मशीनरी स्थिति को लेकर आंखें ना मूंदे

शीर्ष न्यायालय ने 17 मई को मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि वह जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में विश्वास बहाली, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। अदालत ने यह भी कहा था कि सरकारी मशीनरी स्थिति को लेकर आंखें ना मूंदे। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के कथित भड़काऊ भाषणों के संबंध में सौंपे गए साक्ष्यों पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को संयम बरतने की सलाह दें।