विशेष अदालत ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कथित संलिप्तता वाले मामले में सीबीआई को निर्देश दिया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जिनके पास 2005 में कोयला मंत्रालय का प्रभार था, तथा अन्य के बयान दर्ज करे।

मामले में दाखिल सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने कहा, ‘‘मैंने और जांच के आदेश दिए हैं। मैं चाहता हूं कि अन्य अधिकारियों के अतिरिक्त तत्कालीन कोयला मंत्री (मनमोहन सिंह) के बयान दर्ज किए जाएं।’’

अदालत ने एजेंसी को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले में अपनी आगे की जांच पर अगले साल 27 जनवरी को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
इसने यह आदेश उस मामले में दिया जिसमें 2005 में ओडिशा में हिंडाल्को को तालाबीरा दो और तीन कोयला ब्लॉक आवंटन किए जाने के संबंध में बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

इससे पूर्व 12 दिसंबर को अदालत ने मामले में दाखिल सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था जिसमें एजेंसी ने बंद लिफाफे में केस डायरी और अपराध से जुड़ी फाइलें भी जमा की थीं।

पच्चीस नवंबर को अदालत ने सीबीआई से कुछ कठोर सवाल किए थे। उसने पूछा था कि एजेंसी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सवाल क्यों नहीं पूछे, जिनके पास 2005 से 2009 तक कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था।

अदालत ने यह टिप्पणी तब की थी जब सीबीआई ने कहा कि शुरू में उसने महसूस किया कि मनमोहन से पूछताछ की आवश्यकता थी, लेकिन बाद में लगा कि यह आवश्यक नहीं है। जब 2005 में बिड़ला की हिंडाल्को फर्म को तालाबीरा दो और तीन कोयला ब्लॉक आवंटन किए गए तब कोयला मंत्रालय के प्रभारी मनमोहन सिंह थे।

सीबीआई ने पिछले साल अक्तूबर में बिड़ला, पारख और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसने आरोप लगाया था कि पारख ने हिंडाल्को को पहले कोयला ब्लॉक आवंटन खारिज कर दिया था, लेकिन कुछ महीने के भीतर ही ‘‘किसी वैध आधार या परिस्थितियों में बदलाव के बिना’’ अपना फैसला पलट दिया था और ‘‘अनुचित कृपादृष्टि’’ दिखाई।

सीबीआई ने बिड़ला, पारख और अन्य हिंडाल्को अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और सरकारी अधिकारी के रूप में आपराधिक कदाचार सहित भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

जांच एजेंसी ने 10 नवंबर को अदालत को बताया था कि मामले में कुछ निजी पक्षों और लोक सेवकों के खिलाफ कार्यवाही के लिए ‘‘प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री’’ है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई के लिए नियुक्त विशेष लोक अभियोजक आरएस चीमा ने न्यायाधीश के समक्ष कहा था कि क्लोजर रिपोर्ट में संदर्भित अपराधों पर अदालत स्वत: संज्ञान ले सकती है क्योंकि ‘‘आरोपियों की संलिप्तता दर्शाने के लिए’’ प्रथम दृष्टया ‘‘सबूत’’ है।

सीबीआई ने बिड़ला, पारख और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंसं की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।

एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि पारख की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी की 25वीं बैठक में तालाबीरा दो और तीन में खनन के लिए हिंडाल्को तथा इंडाल इंडस्ट्रीज के आवेदनों को ‘‘वैध कारण’’ बताते हुए खारिज कर दिया गया था।