केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक संपत्ति के कथित मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से शुक्रवार (10 जून) को लगातार दूसरे दिन पूछताछ की। सिंह पूछताछ के दूसरे दौर के लिए शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे एजेंसी के मुख्यालय पहुंचे। सीबीआई ने गुरुवार (9 जून) को उनसे सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।
सीबीआई सूत्रों ने दावा किया था कि जब उनके खिलाफ मौजूद ‘साक्ष्यों’ से उनका आमना-सामना कराया गया तो वह कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाए। एक अधिकारी ने कहा था, ‘सीबीआई के पास उनके बच्चों और पत्नी के नाम हासिल की गयी संपत्ति के संबंध में आपराधिक मामले में उनके, उनके सहयोगियों और भागीदारों के खिलाफ पुख्ता मामला है।’
सीबीआई ने कहा है कि उसने जांच शुरू की थी जिसमें कथित तौर पर यह पता चला कि वर्ष 2009 से 2012 तक (संप्रग शासन में) केंद्रीय मंत्री के रूप में सिंह ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 6.03 करोड़ रुपए अधिक की संपत्ति अर्जित की थी।
दिल्ली की एक विशेष अदालत में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत दर्ज प्राथमिकी में सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईसी एजेंट आनंद चौहान तथा यूनिवर्सल एप्पल एसोसिएट्स लिमिटेड के मालिक चुन्नी लाल चौहान के नाम शामिल हैं। सिंह ने आरोपों से साफ इनकार किया है।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में आरोप लगाया था कि सिंह ने अपना बेहिसाबी धन कृषि आय के रूप में दर्शाकर एक निजी व्यक्ति के जरिए अपने नाम से, अपनी पत्नी के नाम से तथा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से जीवन बीमा निगम की पॉलिसियों में निवेश किया। सीबीआई ने कहा था कि यह तीन साल की अवधि के लिए सेब के एक बगीचे की देखरेख के लिए उक्त निजी व्यक्ति (चौहान) के साथ एक सहमति पत्र के जरिए किया गया था। निजी व्यक्ति ने कथित तौर पर अपने बैंक खाते में लगभग पांच करोड़ रूपये जमा किए थे और फिर उसने उनके नामों पर एलआईसी पॉलिसी खरीदने के लिए चेकों के जरिए इस धन को निकाला।
इसने कहा था कि सिंह ने कथित तौर पर 2012 में संशोधित आयकर रिटर्न दायर करके इसे कृषि आय के रूप में वैध बनाने का प्रयास किया। सीबीआई ने आरोप लगाया है, ‘अपने संशोधित आयकर रिटर्न में कृषि आय का उनका दावा तर्कसंगत नहीं पाया गया। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने कथित तौर पर आय से अधिक अन्य संपत्तियां अर्जित की थीं।’