दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। अब सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि शराब नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय उनके आदेश पर लिए गए थे। सीबीआई ने कहा कि शराब घोटाले में उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले पर्याप्त सबूत हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले को लेकर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाबी हलफनामा दायर किया है।
सभी निर्णय केजरीवाल के आदेश पर लिए गए- सीबीआई
सीबीआई ने कहा, “याचिकाकर्ता (अरविंद केजरीवाल) के पास कोई भी मंत्री पद नहीं है। हालांकि समय के साथ यह सामने आया कि नई उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय याचिकाकर्ता के आदेश और उत्पाद शुल्क मंत्री मनीष सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए थे। केजरीवाल को शुरू में सीआरपीसी की धारा 160 के तहत जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था, क्योंकि समझा जाता है कि वह मामले के तथ्यों से परिचित व्यक्तियों में से एक थे। हालांकि कुछ ऐसी सामग्री थी जो उनकी ओर संदेह की सुई की ओर इशारा करती थी।”
सीबीआई ने आगे कहा, “जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह स्पष्ट होने लगा कि नई उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण में याचिकाकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच के लिए धारा 17-ए पीसी अधिनियम के तहत अनुमति मांगी गई थी। ऐसी अनुमति 23 अप्रैल 2024 को ही प्राप्त हुई थी। इस अवधि के दौरान अन्य आरोपियों और अपराध के खिलाफ जांच की जा रही थी और सबूत इकठ्ठा किए गए। इसके बाद सभी कड़ियों को एक साथ जोड़ा गया और याचिकाकर्ता की भूमिका सामने आई।”
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हलफनामे में कहा गया है कि केजरीवाल इस अदालत के समक्ष मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि अलग-अलग अदालतों द्वारा बार-बार दिए गए आदेश अपराध के आयोग से संतुष्ट हैं।
सीबीआई ने किया साउथ ग्रुप का जिक्र
सीबीआई ने दावा किया कि केजरीवाल ने जानबूझकर उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में हेरफेर किया और साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की अवैध रिश्वत के मद्देनजर बिना किसी तर्क के थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया। ये रुपये गोवा में (2022 विधानसभा चुनावों के दौरान) AAP के चुनाव संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए लिए गए थे। हलफनामे में कहा गया है कि जब तिहाड़ जेल में जांच और पूछताछ की गई तो केजरीवाल टाल-मटोल करते रहे और सहयोग नहीं कर रहे हैं।”
पढ़िए अनंत कृष्णन की रिपोर्ट