केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में मची अंदरूनी कलह अभी भी खत्म नहीं हो पाई है। संगठन में दूसरे नंबर के अफसर और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की मुश्किलें दिल्ली हाईकोर्ट में बढ़ सकती हैं। उन पर एक-दो नहीं बल्कि कुल पांच गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें मोइन कुरेशी जैसे मीट कारोबारी से तीन करोड़ रुपए की घूस लेने का दावा किया जा रहा है। अस्थाना पर क्या-क्या लगे हैं आरोप-

1- मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला रफा-दफा करने के लिए उन्होंने मीट कारोबारी मोइन कुरेशी से तीन करोड़ रुपए लिए।

2- स्टरलिंग बायोटेक समूह से घूस लीं।

3- सलाखों की हवा खा चुके पत्रकार उपेंद्र राय से भी रिश्वत पाई।

4- जानबूझ कर सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की छवि को खराब किया।

5- वर्मा को संगठन में किनारे करने के लिए नए अधिकारियों को अपने इशारों पर चलाया और उन्हें भ्रष्ट बनाया।

आपको बता दें कि घूसखोरी के आरोप के कारण वर्मा व अस्थाना इस वक्त फोर्स लीव (छुट्टी) पर चल रहे हैं। सोमवार (29 अक्टूबर) को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह अस्थाना के खिलाफ कार्यवाही पर एक नवंबर तक यथास्थिति बनाए रखे। न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की बेंच ने अस्थाना और सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार की याचिकाओं पर जवाब दाखिल न करने को लेकर जांच एजेंसी पर सवाल उठाए। दोनों अधिकारियों ने रिश्वतखोरी के एक मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह दोनों अधिकारियों की याचिका पर एक नवंबर या उससे पहले जवाब दाखिल करे। सीबीआई के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि जवाब देने में इसलिए देर हुई क्योंकि केस से जुड़ी फाइलें केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास भेजी गई हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी ने जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त भी मांगा।

याद दिला दें कि मीट कारोबारी के खिलाफ दर्ज एक मामले में जांच अधिकारी रहे देवेंद्र कुमार को कारोबारी सतीश सना का बयान दर्ज करने में फर्जीवाड़े के आरोप में 22 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। सतीश ने इस मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगाया है। उच्च न्यायालय ने 23 अक्टूबर को सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्रवाई पर यथास्थिति बनाए रखे। अस्थाना ने रिश्वतखोरी के आरोपों में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी है।