केरल के तिरुअनंतपुरम में सीबीआई की विशेष अदालत ने 1992 में हुई 19 वर्षीय सिस्टर अभया की हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को सजा सुना दी है। सीबीआई अदालत ने अपने फैसले में फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफ़ी को उम्रकैद की सजा सुनाई है और दोनों पर 5-5 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया है।

1992 में सिस्टर अभया का शव केरल के कोट्टायम के एक कुएँ में मिला था। सिस्टर की हत्या का आरोप थॉमस ,पूथरुकायिल और सेफी पर लगा था। बीते मंगलवार को अदालत ने कहा था कि पादरी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं। कोर्ट ने दोनों को भारतीय दंड संहिता की अलग अलग धाराओं के तहत दोषी पाया था। हालाँकि तीसरे आरोपी पूथरुकायिल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

सीबीआई ने अपनी तहकीकात में यह पाया था कि कोट्टायम के पिऊस कान्वेंट के हॉस्टल में रहने वाली सिस्टर अभया 26 मार्च 1992 को जब सुबह 4 बजे उठी तो उसके बाद वह मुंह धोने के लिए किचेन की तरफ गयी। जहाँ उसने फादर थॉमस कोट्टूर, सिस्टर सेफी और फादर पुट्ट्रीकायल को आपत्तिजनक स्थिति में देखा। जिसके बाद तीनों को इस बात का डर सताने लगा कि कहीं वह यह बात सबको बता ना दे।  इसी डर के कारण तीनों ने मिलकर उसके ऊपर अटैक किया और उसको जाकर कुएँ में डाल दिया। 

हालाँकि सीबीआई ने 1993 में ही यह बात कह दी थी लेकिन इसे साबित करने में करीब 15 साल लग गए। आखिरकार 2008 में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट फाइल की और नवंबर 2008 में ही तीनों आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।  लेकिन सिर्फ एक ही महीने में सभी आरोपियों को बेल मिल गयी थी।  उसके बाद 2019 के अगस्त महीने  में दोबारा से ट्रायल शुरू हुआ और आख़िरकार बीते मंगलवार को सीबीआई की अदालत ने थॉमस और सेफी को हत्या का दोषी पाया।

सिस्टर अभया के माता पिता की मौत साल 2016 में ही हो गयी थी। वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतज़ार में ही गुजर गए। इस केस में सीबीआई ने कुल 177 गवाहों की लिस्ट तैयार की थी जिसमें दो की मौत गवाही देने से पहले ही हो चुकी थी।