सीबीआई के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। सरकार ने उन्‍हें 31 जनवरी को एक दिन के लिए नौकरी ज्‍वाइन करने का आदेश दिया था, लेकिन उन्‍होंने इस पर अमल नहीं किया। न्‍यूज एजेंसी ‘PTI’ ने गृह मंत्रालय के हवाले से खबर दी है कि आलोक वर्मा के खिलाफ अब रिटायरमेंट के बाद भी विभागीय कार्रवाई हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि वरिष्‍ठ आईपीएस अधिकारी का कदम ऑल इंडिया सर्विस रूल्‍स के खिलाफ है। गृह मंत्रालय ने 30 जनवरी को आदेश जारी कर आलोक वर्मा को गुरुवार (31 जनवरी) को फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स के डायरेक्‍टर जनरल के तौर पर ज्‍वाइन करने का आदेश दिया था। वर्मा 31 जनवरी को ही सेवानिवृत्‍त हो गए। अधिकारियों ने बताया कि कार्रवाई के तौर पर वर्मा की पेंशन सुविधाओं को निलंबित किया जा सकता है।

सरकार ने नामंजूर कर दिया था इस्‍तीफा: मोदी की सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया था। सरकार ने गुजारिश करते हुए कहा कि वह एक दिन के लिए नौकरी ज्वॉइन कर लें। मालूम हो कि आलोक वर्मा ने जनवरी के शुरू में कार्मिक मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह 31 जनवरी, 2019 को 60 वर्ष के हो रहे हैं, लिहाजा उन्‍हें उस तिथि के बाद सेवानिवृत्‍त माना जाए।

बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख पद से हटाए जाने के बाद उनका ट्रांसफर सिविल डिफेंस व होम गार्ड्स में अग्निशमन सेवाओं के डीजी के तौर पर कर दिया गया था। वर्मा ने इसके बाद नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, गृह मंत्रालय ने उनके इस्‍तीफे को अस्‍वीकार करते हुए बुधवार (30 जनवरी) को वर्मा को भेजी चिट्ठी में कहा था, “आप अग्निशमन सेवाओं के डीजी का कार्यभार तत्काल संभालें।”

दरअसल, पीएम की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा हटाने के बाद उन्होंने मंत्रालय को खत लिखा था। उन्होंने उसके जरिए कहा था- मुझे उसी दिन से सीबीआई प्रमुख पद से हटा समझा जाए। वजह बताते हुए उन्होंने कहा था कि जिस पद के लिए उनका ट्रांसफर हुआ, उस पद पर सेवा देने की उम्र वह पहले ही पूरी कर चुके हैं। ऐसे में दो हफ्ते बाद मंत्रालय की ताजी प्रतिक्रिया आई कि गुरुवार को उन्हें दफ्तर आना ही पड़ेगा।

CBI चीफ पर फैसले को शुक्रवार को बैठकः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली चयन समिति देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के निदेशक पर फैसला करने के लिए शुक्रवार को बैठक करेगी। सीबीआई अभी किसी नियमित प्रमुख के बिना ही काम कर रहा है। समिति की यह दूसरी बैठक होगी, क्योंकि 24 जनवरी को हुई बैठक बेनतीजा रही थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस समिति के सदस्य हैं। गौरतलब है कि वर्मा के जाने के बाद सीबीआई प्रमुख का पद 10 जनवरी से ही खाली है।