झारखंड की चंपई सोरेन सरकार राज्य में जातीय जनगणना कराएगी। बुधवार को राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई और इसी बैठक में जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया गया। झारखंड कार्यपालिका नियमावली में संशोधन करते हुए कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग को जातीय जनगणना कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
कैबिनेट सेक्रेटरी वंदना डाडेल ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। कैबिनेट में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि जातीय सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग को उनकी हिस्सेदारी के अनुसार समानता का अवसर प्रदान करना है। हालांकि पारित प्रस्ताव में यह तय नहीं हुआ है कि जातीय सर्वेक्षण की प्रक्रिया क्या होगी और इसकी शुरुआत कब से होगी। इसको लेकर कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग जल्द ही जानकारी शेयर करेगा।
बता दें कि बिहार के बाद झारखंड दूसरा राज्य बना है, जिसने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है। इसी साल के अंत में झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में चंपई सोरेन सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है। चुनावों में राहुल गांधी भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।
आपको बता दें कि चंपई सोरेन सरकार ने चुनाव से पहले जनता को लुभाने की पूरी कोशिश की है। सोरेन ने मुफ्त बिजली का दायरा 125 यूनिट से बढ़ाकर 200 यूनिट करने का ऐलान किया है और किसानों के दो लाख रुपये तक का लोन माफ करने का ऐलान करते हुए यह भी कहा है कि 25 साल से अधिक और 50 साल से कम उम्र की महिलाओं को सरकार आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा उन्होंने तीन महीने के भीतर 40 हजार युवाओं को सरकारी नौकरियां देने का ऐलान भी किया है।
बिहार में भी हो चुकी है जातीय जनगणना
बता दें कि बिहार में भी जातीय जनगणना हो चुकी है। हालांकि इस पर विवाद भी है। जब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ सरकार बनाई, तब सरकार ने जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया। हालांकि उस दौरान विपक्ष ने कहा था कि जनगणना ढंग से नहीं हुई है, लेकिन किसी दल ने इसका विरोध नहीं किया।